समस्तीपुर : ज़िन्दगी एक किताब है, पन्ने-पन्ने का हिसाब है, खेल वक्त वक्त का है, कभी जीत तो कभी हार है. कुछ ऐसी ही कविताओं से गूंजता रहा केन्द्रीय विद्यालय समस्तीपुर के निकट स्थित कुसुम सदन का प्रांगण. मौका था कुसुम पाण्डेय स्मृति साहित्य संस्थान के तत्वावधान में आयोजित काव्य सम्मेलन का. डॉ. रामेश गौरीश ने उपस्थित रचनाकारों का स्वागत किया. अध्यक्षता हिन्दी व मैथिली साहित्य के प्रसिद्ध रचनाकार प्रो डॉ. नरेश कुमार विकल ने की. संचालन ग़जलकार प्रवीण कुमार चुन्नू ने किया. पत्रकार चांद मुसाफिर व रेल राजभाषा के पूर्व अधिकारी भुवनेश्वर मिश्र विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे. कार्यक्रम के प्रारंभ में संस्था के अध्यक्ष शिवेंद्र कुमार पाण्डेय ने अप्रैल माह में उत्पन्न हिन्दी साहित्य के आधार स्तंभ पं छविनाथ पाण्डेय, राहुल सांकृत्यायन, डॉ केदारनाथ अग्रवाल,पं. माखनलाल चतुर्वेदी, पं. अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔंध, डॉ सुरेन्द्र राय, सुनील कुमार पूर्वे, श्रेष्ठ गीतकार हसरत जयपुरी आदि के व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए उन्हें श्रद्धा-सुमन अर्पित किया. महान क्रांति कारी बाबू वीर कुंवर सिंह के शौर्य और उत्सर्ग की चर्चा करते हुए उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की. कार्यक्रम के प्रारंभ में माला, चादर, प्रशस्ति पत्र से चांद मुसाफिर, आभा अनुरंजिता, हरिनंदन साह, तेज नारायण सिंह तपन, राज कुमार चौधरी, डॉ राम सूरत प्रियदर्शी, राज कुमार राय राजेश, रामाश्रय राय राकेश, रंजना लता, भुवनेश्वर मिश्र, रामलखन यादव, डॉ परमानंद लाभ, विष्णु कुमार केडिया, दीपक कुमार श्रीवास्तव, आफताब समस्तीपुरी, डॉ नरेश कुमार विकल, प्रो रीता वर्मा, अंजु दास, धनेश्वर शर्मा, डॉ राम पुनीत ठाकुर तरुण, प्रवीण कुमार चुन्नू, डॉ अशोक कुमार सिन्हा आदि को संस्थान द्वारा सम्मानित किया गया. पश्चात डॉ अशोक कुमार सिन्हा द्वारा संपादित कृति डॉ धर्मेन्द्र आशुतोष स्मृति कल्प, आभा अनुरंजिता की नवीनतम गजल की पुस्तक मेरे बाद जिन्दगी और डॉ परमानंद लाभ की कृति मानवाधिकार पुलिस और संविधान का लोकार्पण किया गया. कवि सम्मेलन का प्रारंभ किया गया. इसमें राष्ट्र गौरव को संदर्भित करती, चुनाव को लक्षित, आतंकवाद व राजनीति से प्रेरित, प्राकृतिक सौंदर्य को स्पंदित कराती, हास्य व्यंग, गजल, रोमांटिक, भक्ति परक रचनाएं व भोजपुरी, मैथिली व बज्जिका के गीत कार्यक्रम में आकर्षण का केंद्र रहीं. काव्य संध्या का प्रारंभ डॉ राम सूरत प्रियदर्शी द्वारा सुमधुर सरस्वती वंदना से हुआ. राम लखन यादव, शुभम कुमार, शिवेंद्र कुमार पाण्डेय, विष्णु कुमार केडिया, राज कुमार राय राजेश, रामाश्रय राय राकेश, दीपक कुमार श्रीवास्तव, आभा अनुरंजिता, डॉ नरेश कुमार विकल, रंजना लता, डॉ रामसूरत प्रियदर्शी, डॉ परमानंद लाभ, भुवनेश्वर मिश्र, चांद मुसाफिर, हरिनंदन साह, तेज नारायण सिंह तपन, राज कुमार चौधरी, यशवंत कुमार सिंह, अमलेन्दु कुमार त्रियार, किसलय किशन, कृष्ण कुमार, आफताब समस्तीपुरी, रीता वर्मा, अंजु दास, धनेश्वर शर्मा, स्मृति झा, काबिस जमाली, डॉ रामपुनीत ठाकुर तरुण, मो. जावेद, अरुण कुमार सिंह मालपुरी, प्रवीण कुमार चुन्नू, डॉ अशोक कुमार सिन्हा आदि रचनाकारों को खूब पसंद किया गया.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है