Samastipur News: मिट्टी के दीये जलायें, भारतीय संस्कृति के साथ पर्यावरण बचाएं

Samastipur News: Light earthen lamps, save environment with Indian culture

By Prabhat Khabar News Desk | October 25, 2024 11:45 PM

Samastipur News: Light earthen lamps, save environment with Indian culture: समस्तीपुर प्रखंड स्थित उत्कृष्ट मध्य विद्यालय सिंघियाखुर्द में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया, इस कार्यक्रम में छात्रों को ध्वनि प्रदूषण और पटाखों के खतरों के प्रति जागरूक करते हुए, उन्हें स्वस्थ और शांतिपूर्ण उत्सव मनाने का संकल्प दिलवाया गया.

“आधुनिकता के चकाचौंध में गुम हो रही भारतीय संस्कृति को बचाने के लिए दीपों के त्योहार पर मिट्टी के दीये जलाएं. तभी पर्यावरण के साथ हम सब संरक्षित रह सकते हैं. इसलिए सब लोगों को मिलजुल कर घरों में मिट्टी का दीया जलाने से एक वर्ष का जो विकार रहता है वह भी दूर होता है. शिक्षक व बच्चे घरों में मिट्टी के दीये जलाने की तैयारी में लग गए हैं. ”

Samastipur News: Light earthen lamps, save environment with Indian culture: समस्तीपुर : दीपावली की खुशियों को शोर और प्रदूषण से दूर रखने के उद्देश्य से प्रभात खबर ने शुक्रवार को समस्तीपुर प्रखंड स्थित उत्कृष्ट मध्य विद्यालय सिंघियाखुर्द में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया. इस कार्यक्रम में छात्रों को ध्वनि प्रदूषण और पटाखों के खतरों के प्रति जागरूक करते हुए, उन्हें स्वस्थ और शांतिपूर्ण उत्सव मनाने का संकल्प दिलवाया गया. प्रभात खबर प्रतिनिधि प्रकाश कुमार ने बच्चों को बताया कि हमारी परंपराएं और उत्सव देश के कानून से ऊपर नहीं हैं. हमें ध्यान रखना चाहिए कि हमारे उत्सव मनाने से किसी भी व्यक्ति को असुविधा न हो. उन्होंने बताया कि साइलेंस जोन जैसे स्कूल, अस्पताल, उपासना स्थल आदि के 100 मीटर के दायरे में शोरगुल प्रतिबंधित है. ऐसे में समाज की जिम्मेदारी बढ़ जाती है कि वह शांति और स्वच्छता का ध्यान रखे. दीपावली पर पटाखों का इस्तेमाल न करें और केवल मिट्टी के दीये जलाएं. इस दौरान छात्रों को ध्वनि प्रदूषण से होने वाले स्वास्थ्य खतरों के बारे में बताया गया. उन्होंने कहा कि एक रात की आतिशबाजी का आनंद अस्थमा के मरीजों के लिए कई दिनों की तकलीफ बन जाता है, और यह शोर व धुआं जीव-जंतुओं के लिए भी खतरनाक है. दिवाली के पर्व पर मिट्टी के दीपक जलाने के पीछे पौराणिक मान्यता भी है. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक मंगल ग्रह को मिट्टी का और भूमि का कारक मानता जाता है. इसके साथ ही सरसों का तेल का संबंध शनि ग्रह से है. इसी वजह से मिट्टी और सरसों के तेल का दीपक जलाने से मंगल और शनि ग्रह दोनों मजबूत होते हैं.

Samastipur News: Light earthen lamps, save environment with Indian cultureव्रत और त्योहार हमें अपनी जड़ों से जुड़ने की सीख देते हैं

एचएम देवेंद्र प्रसाद चौधरी ने छात्रों को कि बताया पर्व हमारी उत्सवी संस्कृति का अटूट हिस्सा हैं. यही हमारी जीवन शक्ति भी है. यूं तो हमारा देश विविधताओं से भरा है, जहां दुनियाभर की संस्कृति का बसेरा है. यहां हर ऋतु में उत्साह और त्यौहार की धूम रहती है. हमारे व्रत और त्यौहार हमें अपनी जड़ों से जुड़ने की सीख देते हैं.प्रकाश का यह पर्व हमें सीख देता है कि केवल बाहरी चकाचौंध ही नहीं, अपने मन के भीतर भी प्रकाश उत्पन्न करना जरूरी है. लेकिन, ये प्रकाश उस दीये का होना चाहिए जिसका दिवाली के त्यौहार में धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है. मिट्टी का यह छोटा सा दीया गहरे अंधकार में भी उजास की लौ जलाकर रखता है. उसी प्रकार जैसे हमारे त्यौहार रिश्तों की डोर को बांधकर रखते हैं.

Samastipur News, Light earthen lamps, save environment with Indian cultureपटाखे जलते रहेंगे, तो नहीं दूर होगी दूषित पर्यावरण की घुटन

शिक्षक अशोक कुमार राय,निशा कुमारी,अमित कुमार,शमशूल इस्लाम शमसी,अजय कुमार सिंह, प्रभात कुमार सिंह, कुमारी माला,अंशु कुमारी आदि ने बच्चों को बताया कि पटाखों पर प्रतिबंध तो होना ही चाहिए. इससे होने वाला प्रदूषण सभी को बीमार बनाता है. इससे कहीं बेहतर होगा यदि हम पटाखे पर खर्च होने वाले पैसे को जरूरतमंद की मदद में लगाएं. दरअसल पटाखों की वजह से दिवाली का पर्व बच्चों और बुजुर्गों के लिए नुकसानदेह साबित हो रहा है. इस दौरान सांस की तकलीफ की समस्या वाले मरीज कई गुणा बढ़ जाते हैं. ऐसे में दमा-अस्थमा के मरीजों के लिए यह आदेश जीवनदान साबित हो सकता है. पटाखों से सल्फर डाइआक्साइड और नाइट्रोजन डाइआक्साइड आदि हानिकारक गैसें हवा में घुल जाती हैं, जो हमारे शरीर के लिए नुकसानदेह होती हैं. वैज्ञानिकों का कहना है एक लाख कारों के धुएं से जितना नुकसान पर्यावरण को होता है उतना नुकसान 20 मिनट की आतिशबाजी से हो जाता है. आम दिनों में शोर का मानक स्तर दिन में 55 व रात में 45 डेसिबल के लगभग होता है लेकिन दीपावली आते-आते ये 70 से 90 डेसिबल तक पहुंच जाता है. इतना अधिक शोर हमें बहरा करने के लिए पर्याप्त है.

Samastipur News: Light earthen lamps, save environment with Indian cultureदीपक जलाते समय इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए-

शुभम् करोति कल्याणं, आरोग्यं धन संपदाम्।शत्रुबुद्धि विनाशाय, दीपं ज्योति नमोस्तुते।।दीपक को प्रणाम करते हुए इस मंत्र का जाप करने से घर में शुभ ही शुभ होता है, सभी का कल्याण होता है, अच्छा स्वास्थ्य मिलता है, धन-संपत्ति बढ़ती है, शत्रुओं की बुद्धि का विनाश होता है.

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