दो दशकों के बाद पुनर्जीवित किया गया लोकमंच
सामाजिक कार्यों को निस्वार्थ भाव से पूरा करने के लिए दशकों पहले गठित किये गये लोकमंच को फिर से जीवित किया गया है.
मोहिउद्दीननगर : सामाजिक कार्यों को निस्वार्थ भाव से पूरा करने के लिए दशकों पहले गठित किये गये लोकमंच को फिर से जीवित किया गया है. करीब दो दशकों से यह संस्था शिथिल हो गयी थी. दशकों पहले शिक्षाविदों, स्वतंत्रता सेनानियों एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इसकी स्थापना की थी. इस संस्था का उद्देश्य निष्पक्ष भाव से सभी के विकास के लिए प्रयास करना था. यह संस्था उन दिनों ग्रामीण समाज की अपेक्षाओं की पूर्ति के लिए अनेक कदम उठा रही थी. सामाजिक एवं राजनीतिक समस्याओं के निदान के साथ-साथ सांस्कृतिक विकास के लिए मिलकर प्रयास करने के लिए यह संस्था प्रतिबद्ध रहा करती थी. इस संस्था की ओर से आयोजित की जाने वाली बैठकों में महत्वपूर्ण लोग जुटे थे. वहीं, बैठकों में मिलकर समस्याओं का निदान खोजा जाता था. जब सरकारी तौर पर गांव के विकास के अनेक योजनाएं के क्रियान्वित हो रही है तब भी लोग लोकमंच की निष्क्रियता को अभाव की तरह महसूस कर रहे थे. इसे लेकर रविवार को हरैल में स्वतंत्रता सेनानी व प्रसिद्ध शिक्षाविद स्व. दरबारी प्रसाद के आवासीय परिसर में बुद्धिजीवियों व सामाजिक सरोकार से जुड़े लोगों की डॉ. अशोक कुमार सिंह अध्यक्षता में बैठक हुई. संचालन दीनबंधु सिंह ने किया. इस दौरान लोकमंच को पुनर्जीवित करने पर सहमति बनी. इस मौके पर प्रो. हरि नारायण सिंह हरि, भाई रणधीर,अजय कुमार सिंह, रविंद्र कुमार सिंह, अनिल कुमार सिंह, सुधीर कुमार सिंह, प्रो.अनिल कुमार सिंह मौजूद थे.
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