समस्तीपुर : शहर के आरएनएआर कॉलेज में मंगलवार को महावारी स्वच्छता जागरूकता दिवस आयोजित किया गया. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानाचार्य प्रो. सुरेंद्र प्रसाद ने कहा कि मासिक धर्म के दौरान सैनिटरी उत्पादों का उपयोग करने वाली आबादी का केवल एक छोटा हिस्सा ही है. एक भयावह संख्या अभी भी कपड़े जैसी सामग्री का उपयोग कर रही है. भारत में लगभग 23 मिलियन लड़कियां मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन सुविधाओं की कमी के कारण हर साल स्कूल छोड़ देती हैं. यह देखते हुए कि मासिक धर्म पूरी तरह से स्वस्थ, प्राकृतिक और सामान्य घटना है, स्कूलों व काॅलेजों में पर्याप्त सुविधाओं और स्वच्छता की कमी शर्मनाक है. मासिक धर्म स्वास्थ्य एक मानवाधिकार मुद्दा है, न कि केवल स्वास्थ्य का मुद्दा. हर किसी को शारीरिक स्वायत्तता का अधिकार है. मासिक धर्म के दौरान अपने शरीर की देखभाल करने की क्षमता इस मौलिक स्वतंत्रता का एक अनिवार्य हिस्सा है. फिर भी करोड़ों लोगों के पास मासिक धर्म उत्पादों और मासिक धर्म स्वास्थ्य के लिए पर्याप्त सुविधाओं तक पहुंच नहीं है. कार्यक्रम का शुरुआत पिरामल स्वास्थ्य एस्पिरेशनल भारत कोलैबोरेटिव समस्तीपुर टीम द्वारा बाल गीत से शुरू किया गया. प्रोग्राम लीडर श्रेया व श्वेता द्वारा छात्राओं को माहवारी के दौरान होने वाली समस्याओं, माहवारी के दौरान स्वच्छता, माहवारी के दौरान आयरन एवं पोषण युक्त खान-पान, मासिक धर्म के दौरान सामान्य स्वच्छता बनाए रखने के महत्व पर चर्चा किया गया. वही डाॅ. अर्चना कुमारी ने कहा कि एक लड़की का पहला मासिक धर्म रोमांचक हो सकता है क्योंकि यह उसके नारीत्व में प्रवेश का प्रतीक है. लेकिन यह भ्रामक और थोड़ा डराने वाला भी हो सकता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि बहुत सी लड़कियों को अपने पहले मासिक धर्म चक्र को प्रबंधित करने के लिए सभी सही जानकारी नहीं होती है. यह दुर्लभ है कि मासिक धर्म और स्त्री स्वच्छता के बारे में इस तरह से खुलकर बात की जाती है जिससे लड़की जीवन के इस नए चरण में सहज महसूस करे. कार्यक्रम में दर्जनों छात्राओं ने इससे जुड़े प्रश्न पूछे एवं जानकारी प्राप्त की.
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