Rajendra Prasad Central Agricultural University Pusa Samastipur: stink bug insect
समस्तीपुर : धान की फसल जो दुग्धावस्था में आ गयी है उसमें गंधी बग कीट का प्रकोप लगने से किसान परेशान हैं. किसानों का कहना है कि गंधी बग कीट धान की बालियों का रस चूस लेते हैं, जिससे बाद में दाने खोखले हो जाते हैं. बाली में जब दूध की अवस्था बनती तो इन कीटों का प्रकोप शुरू हो जाता है. इधर डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय के द्वारा जारी समसमायिक सुझाव में कहा गया कि किसान अपनी धान की फसलों में नियमित रूप से गंधी बग कीट की निगरानी करें. इस कीट के शिशु एवं पौढ़ दोनों जब पौधों में बाली निकलती है तो यह बालियों का रस चूसना प्रारंभ कर देती है. जिससे दाने खाेखले एवं हल्के हो जाते हैं. छिलके का रंग सफेद हाे जाता है. धान की दुग्धावस्था में यह पौधों को अधिक क्षति पहुंचाती हैं, जिससे उपज में काफी कमी होती है. इसके शरीर से विशेष प्रकार का बदबू निकलती है, जिसकी वजह से इसे खेतों में आसानी से पहचाना जा सकता है. इसकी संख्या जब अधिक हो जाती है तो एक-एक बाल पर कई कीट बैठे मिलते हैं. धान फसल में तना छेदक (स्टेम बाेरर) एवं पत्ती लपेटक (लीफ फोल्डर) कीट की भी किसान निगरानी करें. पत्ती लपेटक कीट के पिल्लू धान की पत्तियों के दोनों किनारों को रेशमी धागे से जोड़कर उसके अन्दर रहते हैं तथा पत्तियों की हरीत्तिमा को खाते हैं. बचाव के लिए करताप हाईड्रोक्लोराईड दानेदार दवा का 10 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से व्यवहार करें. किसान नेत्रजन उर्वरक के साथ बताई गयी कीटनाशक दानेदार दवा को अच्छी प्रकार से मिलाकर खेतों में समान रुप से व्यवहार कर सकते हैं.अगात बोयी गई धान की फसल जो गाभा निकलने की अवस्था में आ गयी हो उसमें 30 किलोग्राम नेत्रजन प्रति हेक्टेयर की दर से उपरिवेशन करें.Rajendra Prasad Central Agricultural University Pusa Samastipur अरहर की बोआई जल्द संपन्न करें
किसान अरहर की बोआई अविलंब संपन्न करने का प्रयास करें. इसके लिए पूसा-9 एवं शरद प्रभेद अनुशंसित है. बीज को उचित राईजोबियम कल्चर से उपचारित कर बोआई करनी चाहिये. जून-जुलाई में बाेयी गयी अरहर की फसल में कीट-व्याधि का निरीक्षण करते रहें.वहीं किसान बैगन की तैयार पौध की रोपाई करें. रोपनी से पहले एक ग्राम फ्यूराडान 3 जी दानेदार दवा प्रति पौधा की दर से जड़ केे पास मिट्टी में मिलाकर रोपनी करें. अगात रोपी गई बैगन की फसल में फल एवं तना छेदक कीट की निगरानी करते रहें. किसान मूली एवं गाजर की अगेती बोआई करें. मूली के लिए पूसा चेतकी, पूसा देशी, पूसा हिमानी, जौनपुरी जापानी सफेद, पूसा रश्मि, जापानी सफेद, पंजाब सफेद, अर्का निशान्त आदि प्रभेद अनुशंसित है. गाजर के लिए पूसा केसर, पूसा मेघाली, पूसा यमदागिनी, अमेरिकन ब्यूटी, कल्याणपुर येलो एवं नैन्टेस प्रभेद अनुशंसित है. बीजदर 4 से 5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तथा 25 गुणा 10 सेमी की दूरी पर बोआई करें.Rajendra Prasad Central Agricultural University Pusa Samastipurफूलगोभी की मध्यकालीन किस्में की रोपाई के लिये समय अनुकूल
फूलगोभी की मध्यकालीन किस्में – पूसा अगहनी, पूसी, पटना मेन, पूसा सिन्थेटिक-1, पूसा शुभ्रा, पूसा शरद, पूसा मेधना, काशी कुंवारी एवं अर्ली स्नोवॉल की रोपाई करें. अगात फूलगोभी में पत्ती खाने वाली कीट (डायमंड बैक मॉथ) की निगरानी करें. पत्तागोभी की अगात किस्मों की बुआई नर्सरी में करें. इसके लिए प्राइड ऑफ इंडिया, गोल्डेन एकर, पूसा मुक्ता, पूसा अगेती एवं अर्ली ड्रम हेड किस्में अनुशंसित है. नर्सरी से खरपतवार समय-समय पर निकालते रहें ताकि स्वस्थ पौध मिल सकें. मिर्च, भिंडी तथा उड़द की फसल में पीला मोजैक वायरस रोग की निगरानी करें. रोग से ग्रसित पौधाें को उखाड़कर जमीन में गाड़ दें, तदुपरांत इमिडाक्लोप्रिड एक मिली प्रति 3 लीटर पानी की दर घोल बनाकर आसमान साफ रहने पर छिड़काव करें. लत्तीदार वाली सब्जियों की फसलों में फल मक्खी कीट की निगरानी करें.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है