मशरूम की खेती सीमांत किसानों के लिए फायदेमंद : कुलपति
मशरूम उत्पादन, पैकेजिंग एवं विपणन पर पांच दिवसीय, पंद्रह दिवसीय और एक महीने के तीन प्रशिक्षण कार्यक्रमों का उद्घाटन कुलपति डॉ पीएस पांडेय ने किया.
पूसा : डा राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा में मशरूम उत्पादन, पैकेजिंग एवं विपणन पर पांच दिवसीय, पंद्रह दिवसीय और एक महीने के तीन प्रशिक्षण कार्यक्रमों का उद्घाटन कुलपति डॉ पीएस पांडेय ने किया. संबोधित करते हुए कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय के प्रयास से मशरूम उत्पादन में बिहार पहले स्थान पर है. मशरूम की खेती सीमांत किसानों के लिए फायदेमंद है. क्योंकि इसमें खेत की जरूरत नहीं होती है. छोटी सी झोपड़ी से मशरूम उत्पादन किया जा सकता है. मशरूम के उत्पादन के बाद उसकी पैकेजिंग और मार्केटिंग बहुत जरूरी है ताकि किसानों को उचित दाम मिल सके. निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ मयंक राय ने कहा कि मशरूम उत्पादन को लेकर विश्वविद्यालय ने पूरा चेन विकसित किया है. इसमें बीज उत्पादन से लेकर मशरूम के विभिन्न उत्पाद शामिल हैं. निदेशक अनुसंधान डॉ एके सिंह ने कहा कि मशरूम का उत्पादन धान की पराली पर भी किया जा सकता है. इससे कई राज्यों में पराली की समस्याओं से भी निजात मिल सकता है. आधारभूत एवं मानविकी महाविद्यालय के डीन डॉ अमरेश चंद्रा ने मशरूम उत्पादन की मार्केटिंग और पैकेजिंग के विभिन्न आयामों पर चर्चा की. डा दयाराम ने मशरूम उत्पादन में होने वाले फायदे और उसके बाजार के बारे में विस्तार से जानकारी दी. संचालन डॉ आरबी प्रसाद ने किया. धन्यवाद ज्ञापन डॉ विनिता सत्पथी ने किया. डॉ मोतीलाल मीणा, डॉ फूलचंद, डॉ सुधानंदिनी, सूचना पदाधिकारी डॉ कुमार राज्यवर्धन आदि थे.
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