Naag Panchami 2024: समस्तीपुर में दिखा ये नजारा, नागपंचमी पर गले में सांप बांधाकर निकले लोग
Naag Panchami बिहार के समस्तीपुर में नागपंचमी पर अनोखी परंपरा देखने को मिला. नागपंचमी पर भक्त नदी से हर बार सांप निकाल कर लोगों को रोमांचित कर दिया.
Naag Panchami 2024 समस्तीपुर में नागपंचमी का अनोखा विधान आज भी कायम है. इसकी एक बानगी शुक्रवार को फिर दिखी. जिले के गहवर में नाग देवता एवं विषहरी माता की पूजा-अर्चना के लिए दूर-दराज से आये भक्तों का हुजूम उमड़ा था. यहां पर आए श्रद्धालुओं ने दूध एवं धान का लावा चढ़ाया. पूजन के पश्चात घर के सभी सदस्यों ने परंपरा के अनुरूप दही के साथ नीम पत्ता ग्रहण किया.
इससे पूर्व मृदंग वादकों के साथ भगत लखन पासवान बाया नदी के तट पहुंचे. भगत ने जितनी बार नदी में डुबकी लगायी उतनी बार सांप बाहर निकाले. घंटों करतब के बाद सारे सांप लेकर भगत और श्रद्धालु मंदिर की ओर लौट गये. इस दौरान भगत ने सापों का प्रदर्शन कर श्रद्धालुओं को रोमांचित कर दिया.
मान्यता है कि महिलाएं नागों की पूजा वंश वृद्धि की कामना के लिए करती हैं. मौके पर भोला प्रसाद त्रिवेदी, विश्वनाथ पोद्दार, सुरेश प्रसाद महतो, कन्हैया कुमार, शंकर साह, भोला पंडित, गणेश भगत, सिकंदर पासवान, सुरेश प्रसाद, हरेश पासवान, कैलाश पासवान, लखन पासवान, विनोद शर्मा, कन्हैया कुमार सहित दर्जनों श्रद्धालु मौजूद थे.
दरअसल, यह सब प्रकृति के सभी जीवों की उपयोगिता और उनके कार्य क्षेत्र को निर्धारित करने वाली परंपरा को लेकर आज भी किया जाता है. नागपंचमी में सर्प पूजा के पारंपरिक विधान से जीवन चक्र को बनाये रखने का भी वैज्ञानिक आधार मजबूत होता है. यह बातें शुक्रवार को स्थानीय बाजार के विषहरी माता के परिसर में आयोजित नाग पंचमी मेले के अवसर पर चर्चित गीतकार ईश्वर चंद्र झा करुण ने कही.
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए एचएम दयानंद भगत ने कहा कि सांप आहार शृंखला की अहम कड़ी हैं. यह न सिर्फ कृषि कार्यों में नुकसानदेह जीवों से किसानों को निजात दिलाते हैं, बल्कि पारिस्थितिक संतुलन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. सापों की सुरक्षा व संरक्षण के लिए हमें प्रयास करने की आवश्यकता है.