पूसा : डा राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय स्थित संचार केंद्र के पंचतंत्र सभागार में आत्मा प्रायोजित झारखंड पाकुड़ के किसानों के बीच समेकित कृषि प्रणाली एवं श्री अन्न उत्पादन विषय पर पांच दिवसीय प्रशिक्षण की शुरुआत हुई. अध्यक्षता करते हुए ईख अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ देवेंद्र सिंह ने कहा कि मिलेट्स एवं अधिकाधिक दूध उत्पादन के क्षेत्र में पाकुड़ सहित सम्पूर्ण झारखंड राज्य को अव्वल बनाने की जरूरत है. झारखंड में दुधारू पशुओं को महज चारा चरने तक ही सीमित छोड़ देना बिल्कुल दुर्भाग्यपूर्ण पशुपालन का मिसाल है. इससे निबटने के लिए किसान एवं पशुपालकों को खेतों में हरा चारा की खेती करने की दिशा बढ़ चढ़कर सहभागिता दर्ज करने की आवश्यकता है. दूध के व्यवसाय में समूह बनाकर बड़े बाजारों का भी लाभ लिया जा सकता है. निदेशक डा सिंह ने कि समेकित कृषि प्रणाली में पशुपालन, बकरी पालन, मछलीपालन एवं बागवानी के अलावा तालाबों के मेड़ पर एवं उसके नीचे वाले क्षेत्रों में मिलेट्स की खेती कर बेहतर उत्पादन के साथ अधिक आय प्राप्त कर सकते हैं. समेकित कृषि प्रणाली में मूल्य संवर्धन कर एकीकृत कृषि प्रणाली को भी अपनाने की आवश्यकता है. मूल्य संवर्धन कर प्रति यूनिट क्षेत्रफल से किसान अपने उत्पादों का तीन से दस गुना तक अधिक आमदनी ले सकते हैं.
बिहार में श्री अन्न की खेती के क्षेत्र में अपार संभावनाएं छिपी हुई है
संचालन करते हुए प्रसार शिक्षा उप निदेशक प्रशिक्षण डा विनिता सतपथी ने कहा कि खासकर बिहार में श्री अन्न की खेती के क्षेत्र में अपार संभावनाएं छिपी हुई है. उसमें निखार लाने की जरूरत है. ग्रामीण महिलाओं के सहयोग से मिलेट्स की खेती को बढ़ावा मिलने के प्रबल आसार प्रतीत हो रहे हैं. प्रशिक्षण के दौरान सैद्धांतिक एवं प्रायोगिक वर्ग के अलावे प्रक्षेत्र भ्रमण पर भी विशेषरूप से फोकस किया जाना है. धन्यवाद ज्ञापन वैज्ञानिक डा फूलचंद ने किया. मौके पर जलवायु परिवर्तन पर उच्च अध्ययन केंद्र के निदेशक डा रत्नेश कुमार झा, टेक्निकल टीम के सदस्यों में सुरेश कुमार सहित अन्य कर्मी मौजूद थे.
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