कद्दूवर्गीय फसल को पत्ती माइनर कीट से बचाने की जरूरत : वैज्ञानिक

डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर पादप रोग व नेमेटोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ एसके सिंह ने कहा कि कद्दू, खीरा, खरबूजा एवं स्क्वैश के फसल को पत्ती माइनर कीट के आक्रमण से बचाव के लिए किसान को पर्यावरण अनुकूल विधियों को अपनाने की जरूरत है.

By Prabhat Khabar News Desk | June 3, 2024 11:14 PM

पूसा : डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर पादप रोग व नेमेटोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ एसके सिंह ने कहा कि कद्दू, खीरा, खरबूजा एवं स्क्वैश के फसल को पत्ती माइनर कीट के आक्रमण से बचाव के लिए किसान को पर्यावरण अनुकूल विधियों को अपनाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि इन विधियों में एकीकृत दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है, जो सिंथेटिक रसायनों के उपयोग को कम करते हुए सांस्कृतिक, जैविक व यांत्रिक नियंत्रण विधियों को जोड़ता है. लीफ माइनर रोग एग्रोमीज़िडे परिवार की मक्खियां के लार्वा पत्तियों में छेद करके विशिष्ट खान बनाता है जो प्रकाश संश्लेषण क्षमता को कम कर देता है. इससे फसल का विकास रुक जाता है. पौधा रोग की ओर संवेदनशील हो जाता है. वैज्ञानिक ने कहा कि जैविक नियंत्रण के रूप में किसानों को प्राकृतिक शिकारी व परजीवियों की आबादी को बढ़ावा देना चाहिए. इसमें परजीवी ततैया को विशेष रूप प्रभावकारी बताया. कहा कि जब कीट का दबाव अधिक हो जाये, तो किसानों को जैविक कीटनाशकों का उपयोग अंतिम उपाय के रूप में करना चाहिए. किसानों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उपयोग में लाने वाली उत्पाद प्रमाणित जैविक है. गैर-लक्ष्य जीवों व पर्यावरण पर प्रभाव को कम करने के लिए सभी लेबल निर्देशों का पालन करने की जरूरत पर बल दिया. उन्होंने कहा कि प्रतिरोधी किस्मों एवं जैव विविधता को बढ़ावा देकर इस रोग पर नियंत्रण पाया जा सकता है. कीटनाशकों के उपयोग को कम करने की सलाह दी.

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