नीट-यूजी परिणाम प्रकरण : जिन छात्रों ने मेहनत की, अच्छे नंबर लाकर भी रैंकिंग में पिछड़ गये

मेडिकल प्रवेश परीक्षा के लिए आयोजित नीट का चार जून को जारी रिजल्ट ग्रेस अंक दिये जाने के बाद विवादों में घिर गया है.

By Prabhat Khabar News Desk | June 9, 2024 10:29 PM

समस्तीपुर : मेडिकल प्रवेश परीक्षा के लिए आयोजित नीट का चार जून को जारी रिजल्ट ग्रेस अंक दिये जाने के बाद विवादों में घिर गया है. कोचिंग संस्थान के निदेशकों का कहना है कि यह संभव नहीं है कि एक ही सेंटर से कई सारे टॉपर्स निकल आएं. टाइम खराब होने के मामले में छात्रों को ग्रेस मार्क देने का सवाल ही नहीं उठता. यदि किसी कारण से 20-30 मिनट देरी से पेपर शुरू हुआ है, तो तय समय के बाद 20-30 मिनट अतिरिक्त दिया जाना चाहिए, लेकिन समय खराब होने पर ग्रेस मार्क देना बिल्कुल गलत है. ड्रीम क्लासेस के निदेशक अभय कुमार ने बताया कि ग्रेस मार्क देने से छात्रों को लेवल प्लेइंग फील्ड नहीं मिलती है. ग्रेस देने का मतलब है कि परीक्षा संचालन में जिस तरह के मॉडरेशन की जरूरत थी, वह नहीं हो पाया. नीट-यूजी के परिणाम देखकर लगता है कि इस साल मेडिकल कॉलेज में प्रवेश अधिक मुश्किल होगा. दूसरी ओर, छात्रों के बीच भी इस गड़बड़ी पर आक्रोश बढ़ता जा रहा है. छात्र विवेक राज ने बताया कि तीन साल से नीट की तैयारी कर रहे हैं. इस बार 652 नंबर हासिल करने के बाद भी रैंक 27 हजार पर पहुंच गई है, जबकि पिछले साल इस स्कोर पर सात हजार तक रैंक थी. छात्र गौतम कुमार ने इस बार नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट में 720 में से 646 नंबर स्कोर किया है. पिछले साल एग्जाम दिया होता तो आठ हजार तक रैंक आता, लेकिन इस बार रैंक 33 हजार पहुंच गई है, यानी सरकारी कॉलेज में एडमिशन की उम्मीद खत्म. छात्रों में गुस्सा है कि एनटीए ने ग्रेस मार्क्स देने के लिए कोई क्राइटेरिया फिक्स नहीं किया. ऐसे में नेशनल कोटे में काउंसलिंग में अच्छा कॉलेज मिलना नामुमकिन है. जिन छात्रों ने मेहनत की, वह तो अच्छे नंबर लाकर भी रैंकिंग में पिछड़ गये और ग्रेस की वजह से जिन बच्चों के 640 से 650 नंबर थे, वह भी टॉपर्स की लिस्ट में पहुंच गये. इस वजह से रैंकिंग भी हाई चली गई. जहां अच्छा कॉलेज मिलने की उम्मीद कर रहे थे. अब काउंसलिंग में भी परेशानी होगी. इधर साइंटिफिक फिजिक्स के निदेशक नीरज भारद्वाज ने कहा कि ग्रेसिंग मार्क देने में क्या नियम लगाया, किस आधार पर दिए, यह क्लियर नहीं है? केवल यह कह दिया गया है कि बच्चों का पेपर लेट हुआ. उनके लेट होने के समय और एक्यूरेसी के आधार पर ग्रेसिंग मार्क्स दिये गये. ऑफलाइन पेपर में सीसीटीवी फुटेज या परीक्षा सेंटर में मौजूद कर्मियों के आधार पर कैसे स्टूडेंट्स की एक्यूरेसी निकाली जा सकती है. ग्रेसिंग मार्क्स को लेकर एनटीए कोर्ट के निर्देश का हवाला दे रहा है. ये निर्देश क्लैट के लिए साल 2018 में दिए थे. वह ऑनलाइन एग्जाम था, जबकि नीट ऑफलाइन एग्जाम है. उस निर्देश का हवाला देते हुए ग्रेस मार्क्स देना सही नहीं है. ग्रेस मार्क कोई जिक्र बुलेटिन में नहीं है. ग्रेस मार्क्स भी उन्हीं को मिले हैं, जिन्होंने शिकायत की. जिन बच्चों ने शिकायत नहीं की, उनका क्या कसूर है. अधिवक्ता प्रकाश कुमार ने कहा कि केंद्र सरकार न तो छात्रों के भविष्य को लेकर चिंतित है और न ही पारदर्शिता से प्रतियोगी परीक्षाओं का आयोजन कराने में सक्षम है. उन्होंने कहा कि एक ही परीक्षा केंद्र के छह परीक्षार्थियों के 720 में से 720 अंक आना, बोनस अंकों का वितरण जैसी कई गड़बड़ियां सामने आई हैं, जिन पर छात्रों और उनके अभिभावकों ने आपत्ति दर्ज करवाई है. इस प्रकार का खिलवाड़ लाखों छात्रों की मेहनत, सपनों और भविष्य पर कुठाराघात है, जो वर्षों तक लगन और समर्पण के साथ परीक्षा की तैयारी करते हैं. छात्र और उनके माता-पिता कई उम्मीदों के साथ अपने बच्चों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करवाते हैं, लेकिन जब परीक्षा में धांधली होती है, तो इनकी उम्मीदें टूट जाती हैं. केंद्र सरकार से मांग करते हैं कि छात्रों के भविष्य से जुड़े इस विषय की गहनता और पारदर्शी तरीके से जांच हो और छात्रों की समस्याओं का निस्तारण कर उन्हें जल्द से जल्द न्याय दिया जाये.

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