जिला परिषद अध्यक्ष के खिलाफ आया अविश्वास प्रस्ताव

जिला परिषद में राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गयी है. पिछले कुछ दिनों से चली आ रही गतिविधियां अब प्रकाश में आ गयी है.

By Prabhat Khabar News Desk | January 4, 2025 11:21 PM

समस्तीपुर : जिला परिषद में राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गयी है. पिछले कुछ दिनों से चली आ रही गतिविधियां अब प्रकाश में आ गयी है. अविश्वास प्रस्ताव की चाल से जिला परिषद अध्यक्ष की कुर्सी पर खतरा मंडराने लगा है. जिला परिषद सदस्यों ने शनिवार को जिला परिषद अध्यक्ष कार्यालय में अविश्वास प्रस्ताव को लेकर आवेदन दिया. आवेदन पर 13 सदस्यों के हस्ताक्षर हैं. इसमें जिला परिषद सदस्य ममता कुमारी, उर्मिला देवी, अनिता कुमारी, अरुण कुमार गुप्ता, विभा देवी, मंजू देवी, रिंकी कुमारी, किरण कुमारी, लक्ष्मी कुमारी आदि ने हस्ताक्षर किया है. इसमें असंतोषजनक कार्यप्रणाली के विरुद्ध तीन वर्ष बीत जाने के उपरांत जिला परिषद के संकल्पों एवं योजनाओं के कार्यान्वयन में असफल रहने का आरोप लगाया गया है. इसके अलावा जिला परिषद सदस्यों से मंत्रणा नहीं करने, मनमाने ढंग से कार्य करने, योजना संचालन में मनमानी करने और अध्यक्ष के पद पर निष्ठापूर्वक कर्तव्य का निर्वहन नहीं करने का भी आरोप लगाया है. जिला परिषद के हित में अविश्वास प्रस्ताव पर विचार के लिए नियमानुसार जिला परिषद की विशेष बैठक कर अविश्वास मत हासिल करने की कार्रवाई करने को कहा गया है. जिलाधिकारी और मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी सह उप विकास आयुक्त को अविश्वास को भी पत्र दी गई है. अध्यक्ष कार्यालय से भी इसकी प्रति उप विकास आयुक्त कार्यालय में भेज दी गई. जिला परिषद अध्यक्ष खुशबू कुमारी ने बताया कि अभी पत्र नहीं मिला है. लेकिन, मौखिक तौर पर सूचना मिली है. पंचायती राज अधिनियम में एक बार ही बैठक होनी है. उच्च न्यायालय पटना के आदेश के आलोक में सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई है. अविश्वास लगाने का पत्र मिलने के उपरांत कानूनी तौर पर विभागीय स्तर पर सूचना ली जायेगी. पंचायती राज विभाग द्वारा पटना उच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में जिला परिषद की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है. विदित हो कि उच्च न्यायालय ने आदेश जारी किया था कि जिला परिषद अध्यक्ष पर पूर्व में लाये गये अविश्वास प्रस्ताव के दौरान मतदान नहीं हुआ उसे पूर्ण प्रक्रिया नहीं माना जायेगा. मतदान नहीं होने पर जिला परिषद सदस्य अविश्वास लाने के लिए स्वतंत्र है. अविश्वास प्रस्ताव आने पर बैठक में उपस्थित सदस्यों को पक्ष या विपक्ष में मतदान करना होगा. इसके उपरांत ही अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया पूरी मानी जायेगी.

अविश्वास प्रस्ताव के लिए क्या है नियम

पंचायती राज अधिनियम में प्रावधान है कि पंचायत प्रतिनिधियों (जिला परिषद अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, प्रखंड प्रमुख और उप प्रमुख) के खिलाफ चुनाव के दो साल बाद अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है. कुल निर्वाचित सदस्यों के एक तिहाई सदस्य यदि मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी (डीडीसी) या कार्यपालक पदाधिकारी (बीडीओ) को जिप के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, प्रखंड प्रमुख या उप प्रमुख के खिलाफ लिखित अविश्वास प्रस्ताव के लिए आवेदन करते हैं. ऐसी स्थिति में अध्यक्ष को कार्यपालक पदाधिकारी की ओर से अविश्वास प्रस्ताव पर बहस या मतदान के लिए बैठक बुलाने के लिए पत्र लिखेंगे. बैठक में अध्यक्ष या उपाध्यक्ष सदन में अपना विश्वास प्राप्त करने के लिए सदस्यों का अपने पक्ष में बहुमत को सिद्ध करेंगे. यदि अध्यक्ष या उपाध्यक्ष के खिलाफ सदस्यों का बहुमत नहीं होता है तो ऐसी स्थिति में अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जाता है और उन्हें पद छोड़ना पड़ता है. वहीं एक तर्क दिया जा रहा है कि पटना उच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में पंचायती राज विभाग के उप सचिव गोविंद चौधरी का पत्र के आलोक में विरोधी खेमा एक बार फिर नये सिरे से जिप अध्यक्ष पर अविश्वास प्रस्ताव लाने की कोशिश में जुट गये हैं. पंचायत राज विभाग के उप सचिव ने सभी डीएम को भेजे पत्र में पटना उच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में कहा है कि जिस जिले में जिला परिषद के अध्यक्ष के पूर्व में विरुद्ध लाये अविश्वास प्रस्ताव के दौरान मतदान नहीं हुआ उसे पूर्ण प्रक्रिया नहीं माना जायेगा. जहां मतदान नहीं हुआ वहां के जिप सदस्य दोबारा अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए स्वतंत्र हैं. अविश्वास प्रस्ताव आने पर बैठक में उपस्थित सदस्यों को पक्ष या विपक्ष में मतदान करना होगा, तभी अविश्वास की प्रक्रिया पूरी मानी जायेगी. विदित हो कि विगत वर्ष जनवरी माह में जिला परिषद की अध्यक्ष खुशबू कुमारी के खिलाफ पेश अविश्वास प्रस्ताव कोरम के अभाव में गिर गया था. 18 जिला पार्षदों ने अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था, लेकिन बुलाई गई विशेष बैठक में अध्यक्ष समेत मात्र पांच पार्षद ही उपस्थित हो सके. जिससे अविश्वास प्रस्ताव पर न बहस हुई और न ही वोटिंग कराया गया था.

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