अब बापू के सपने से कोसों दूर बुनियादी विद्यालय
आजादी के बाद राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का सपना था कि सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को सामान्य शिक्षा के साथ ही व्यवसायिक रूप से प्रशिक्षित भी किया जाये.
प्रकाश कुमार, समस्तीपुर : आजादी के बाद राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का सपना था कि सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को सामान्य शिक्षा के साथ ही व्यवसायिक रूप से प्रशिक्षित भी किया जाये. स्कूल में शिक्षा व व्यवसायिक प्रशिक्षण प्राप्त कर बच्चे आत्मनिर्भर बने. इसके लिए राजकीय बुनियादी विद्यालय की स्थापना की गई. इस विद्यालय में बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के साथ कई तरह की प्रशिक्षण भी दिया जाता था. ऐसे विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चे यहां शिक्षा ग्रहण करने के बाद स्वरोजगार से जुड़ आत्मनिर्भर हो जाते थे. खासकर ग्रामीण इलाकों के छात्रों को इस तरह के विद्यालय में पढ़ने से काफी फायदा होता था, लेकिन शिक्षा विभाग के उदासीन रवैये के कारण यह विद्यालय उपेक्षा का शिकार होता चला गया. धीरे-धीरे इस विद्यालय में नामांकित बच्चों को प्रशिक्षित करने वाले शिक्षकों की बहाली बंद कर दी गई है. ऐसे में स्कूल के संचालन की समस्या भी उत्पन्न होने लगी है. इधर, कुछ शिक्षकों को पदस्थापित किये जाने के बाद से इन विद्यालयों में पठन-पाठन का कार्य किसी तरह से संचालित किया जा रहा है. जिले में राजकीय बुनियादी विद्यालय, सैदपुर, बुनियादी विद्यालय अभ्यासशाला, पूसा, बुनियादी विद्यालय, बनधारा, बुनियादी विद्यालय, मरीचा, बुनियादी विद्यालय, छतौना, बुनियादी विद्यालय, बल्लीपुर, बुनियादी विद्यालय, नाजिरपुर, बुनियादी विद्यालय, करिहारा, बुनियादी विद्यालय, खैरी, बुनियादी विद्यालय, धर्मपुर, बुनियादी विद्यालय, जनार्दनपुर, बुनियादी विद्यालय, बलहा, बुनियादी विद्यालय, भोरेजयराम, बुनियादी विद्यालय, जगतसिंहपुर, बुनियादी विद्यालय, हांसा, बुनियादी विद्यालय, नौवाचक, बुनियादी विद्यालय, सोमनाहा, बुनियादी विद्यालय, मोख्तियारपुर, सलखन्नी, बुनियादी विद्यालय, डरोरी, बुनियादी विद्यालय, महमद्वा, बुनियादी विद्यालय, दीघरा, बुनियादी विद्यालय, धोबगामा, बुनियादी विद्यालय, बथुआ, बुनियादी विद्यालय, मालती बेलारी, बुनियादी विद्यालय, टॉरा, बुनियादी विद्यालय, जितवारपुर, कुम्हिरा व बुनियादी विद्यालय, मोरवा संचालित हैं. इन विद्यालयों में सहायक शिक्षकों के आधे से अधिक पद रिक्त हैं. जानकारी के मुताबिक 280 सहायक शिक्षकों का पद जिले के 27 राजकीय बुनियादी विद्यालय के लिए स्वीकृत हैं. इनमें से मात्र बीस ही कार्यरत हैं. चौदह राजकीय बुनियादी विद्यालय ऐसे हैं जहां एक भी सहायक शिक्षक कार्यरत नहीं हैं. पद वर्षों से रिक्त पड़ा हुआ है. इस विद्यालय से बापू की परिकल्पना थी कि इन विद्यालयों में पहली से आठवीं कक्षा में पढ़ने वाले बच्चे सामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त कर आत्मनिर्भर बन सके.
हस्तरकरधा सहित कई तरह का दिया जाता था प्रशिक्षण
बुनियादी विद्यालय की स्थापना के बाद यहां छात्रों को सामान्य शिक्षा के साथ साथ व्यवसायिक शिक्षा में हस्तकरघा, टोकरी निर्माण, लकड़ी का सामान बनाना, चटाई निर्माण, सिलाई कटाई आदि का प्रशिक्षण दिया जाना अनिवार्य था. स्थापना काल के बाद इन विद्यालयों में ऐसी सभी शिक्षा अनिवार्य रूप से दी जाती थी. जहां से बच्चे शिक्षा ग्रहण कर स्वरोजगार में जुटकर अच्छी कमाई कर परिवार का भरण पोषण करने में जुट जाते थे. शिक्षकों की कमी के कारण बापू का सपना सकार न हो सका. इधर, बदलते परिवेश में व्यवसायिक शिक्षकों के अभाव में व्यवसायिक शिक्षा पूरी तरह ठप पड़ गया. वहीं, सभी बुनियादी विद्यालय सामान्य शिक्षा पर आधारित रह गया. जिस वजह से बच्चों को सामान्य शिक्षा के साथ व्यवसायिक शिक्षा से जोड़ने की बापू की परिकल्पना अब स्कूलों से दूर हो चुकी है. शिक्षक सिद्धार्थ शंकर कहते है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सपनों में शुमार बुनियादी विद्यालयों की बुनियाद हिल गयी है. इनका अस्तित्व मिटने के कगार पर है. ये विद्यालय बुनियादी शिक्षा से तो दूर हैं ही, हालात यह हो गये हैं कि अब सामान्य शिक्षा भी इन विद्यालयों में लागू नहीं हो पा रही है. अधिकांश विद्यालयों में शिक्षकों की कमी है.
स्वावलंबी बनाना था विद्यालय का मुख्य उद्देश्य
बुनियादी विद्यालयों की स्थापना का मूल उद्देश्य लोगों को स्वावलंबी बनाना था. इसके तहत ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों के व्यावहारिक, रोजगार परक एवं कार्य कौशल की शिक्षा प्रदान करनी थी, जिससे स्वरोजगार को बढ़ावा मिलता था, लेकिन यह सब अब बीते दिनों की बातें हो चली है. वर्ष 1980 के बाद इन स्कूलों के लिए शिक्षकों की नियुक्ति नहीं की गयी, जो शिक्षक पदस्थापित थे, वे धीरे-धीरे सेवानिवृत्त हो गये. नतीजा यह हुआ कि शिक्षकों की संख्या घटती चली गयी. सर्व शिक्षा अभियान के तहत स्वीकृत पद के लिए हर बुनियादी विद्यालय के बेसिक ग्रेड में तीन और स्नातक ग्रेड में दो शिक्षकों का पदस्थापना किया जाना था, जो दुर्भाग्यवश नहीं हो पाया.
विभाग को राजकीय बुनियादी विद्यालय की स्थिति से अवगत कराया जा चुका है. जो भी निर्णय विभागीय स्तर पर लिया जाएगा,उसके बाद इन विद्यालयों को सुदृढ करने की व्यवस्था की जाएगी.कामेश्वर प्रसाद गुप्ता,डीईओ, समस्तीपुर
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