अपार आईडी बनाने का लक्ष्य दूर, अब तक सिर्फ 22.44 फीसदी कार्ड बने
विद्यालयों में अध्ययनरत छात्रों की शैक्षिक प्रगति और उपलब्धि को ट्रैक किए जाने के लिए आटोमेटेड परमानेंट एकेडमिक एकाउंट रजिस्ट्री (अपार आईडी) बनाई जानी है.
समस्तीपुर. विद्यालयों में अध्ययनरत छात्रों की शैक्षिक प्रगति और उपलब्धि को ट्रैक किए जाने के लिए आटोमेटेड परमानेंट एकेडमिक एकाउंट रजिस्ट्री (अपार आईडी) बनाई जानी है. ‘’एक राष्ट्र, एक छात्र’’ के तहत अब हर छात्र की विशिष्ट पहचान (12अंक की आईडी) होगी, जो उसकी बाल वाटिका से पीएचडी की पढ़ाई और नौकरी पाने तक मददगार होगी. आधार की तर्ज पर काम करने वाली आईडी को अपार नाम दिया गया है. छात्रों का अपार आईडी कार्ड बनाने में जिला की स्थिति निराशाजनक है. इसमें हेडमास्टर के साथ साथ अभिभावकों की भी उदासीनता प्रमुख कारण है. वही एचएम का कहना है कि सर्वर की गड़बड़ी और नेट स्लो होने की वजह से भी बच्चों का अपार आईडी बनाने में परेशानी हो रही है. इसे लेकर शिक्षक काफी परेशान हैं. कई शिक्षकों ने तो बताया कि उन्हें इसके लिए विधिवत रूप से ट्रेनिंग देनी चाहिए. केवल आदेश जारी करने और वेतन कटौती कर देने से काम नहीं हो जाता है. यू-डायस पोर्टल पर बच्चों का अपार आईडी बन रहा है. इसे बनाने में माता-पिता या अभिभावक का आधार नंबर जरूरी है. साथ ही बच्चों का उनके आधार के अनुसार ही नाम और जन्म तिथि यू-डायस पोर्टल पर होना चाहिये. लेकिन, कई बच्चों के नाम में त्रुटि होने के कारण इसे बनाने में दिक्कत हो रही है. कई बच्चों का तो यू-डायस पोर्टल पर नाम ही नहीं है. बच्चों के नाम व जन्म तिथि आदि सुधारने का कोई ऑप्शन नहीं है. हालांकि, एक फॉर्म मुहैया कराया गया है. जिसे भरकर देने पर जिला से सुधार होगा. तब तक उन बच्चों का अपार आईडी नहीं बनेगा, जिनके प्रोफाइल विवरण में कुछ न कुछ त्रुटि है. कक्षा 1 को छोड़कर किसी अन्य कक्षा में नामांकन कराए बच्चों का नाम जुड़ भी नहीं पा रहा है. इससे उन बच्चों का अपार नहीं बन सकता. दूसरे जगह के ड्रॉप आउट बच्चों को यू-डायस पोर्टल पर इम्पोर्ट भी शिक्षक नहीं कर पा रहे हैं. स्थिति यह है कि जिले में जहां 6 लाख 90 हजार 849 छात्र-छात्राओं का अपार कार्ड बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है तो वहीं, अब तक सिर्फ 1 लाख 54 हजार 992 अपार कार्ड जनरेट हो पाया है. डीपीओ प्रारंभिक शिक्षा एवं समग्र शिक्षा अभियान मानवेंद्र कुमार राय ने भी इस पर नाराजगी जताते हुए सभी बीईओ को पत्र लिखकर इस उपलब्धि पर खेद जताया है. डीपीओ ने पत्र में कहा है कि जिले के प्राथमिक, माध्यमिक व उच्च माध्यमिक स्कूलों निजी सहित में नामांकित और अध्ययनरत सभी बच्चों के लिए अपार आईडी के निर्माण के लिए निर्देशित किया गया था लेकिन पोर्टल पर प्रविष्ट आंकड़ों की समीक्षा से ऐसा प्रतीत होता है कि प्रखंडों की ओर से में इसमें किसी तरह की रुचि नहीं ली जा रही है. इस कारण जिले की उपलब्धि निराशाजनक है जो कि खेद का विषय है. डीपीओ ने कहा कि अगर शीघ्र लक्ष्य के विरुद्ध उपलब्धि हासिल नहीं होती है तो इस मामले में जवाबदेही तय करते हुए उदासीनता बरतने वाले बीईओ व प्रधानाध्यापकों पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी. सबसे खराब स्थिति विभूतिपुर, समस्तीपुर, सरायरंजन व कल्याणपुर की है जहां बीस फीसदी से कम अपार आईडी बना है. अपार आईडी बनाने को लेकर 9 व 10 दिसंबर को विशेष अभियान जिले के सभी निजी व सरकारी विद्यालय में बनाए जा रहे अपार आईडी कार्ड की गति में शिथिलता को लेकर बिहार राज्य शिक्षा विभाग ने नाराजगी जाहिर करते हुए इसमें गति लाने के साथ 9 एवं 10 दिसंबर को विशेष शिविर का आयोजन कर छात्रों का कार्ड बनाने का निर्देश दिया. राज्य परियोजना परिषद के निदेशक के निर्देशानुसार अपार आईडी निर्माण कार्य ससमय पूरा करने को लेकर 9 एवं 10 दिसंबर को अपार आईडी दिवस मनाने की तैयारी के लिए जिला स्तर पर मॉनिटरिंग सेल का गठन किया गया है.
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