मोरवा : मोरवा में धान की खरीदारी पैक्स चुनाव की भेंट चढ़ती नजर आ रही है. पैक्स चुनाव में अध्यक्ष व्यस्त हैं. इधर, किसानों को धान बेचने की मारामारी है. ऐसे में थक हार कर किसान बिचौलिये की शरण में जा रहे हैं . जहां औने पौने दामों पर धान बेचना किसानों की मजबूरी बनी हुई है. किसानों का कहना है कि धान तो कहीं बेच लेंगे पैक्स तो कागज पर ही धान की खरीदारी कर लेगा. बताते चले कि 01 नवंबर से ही सरकारी समर्थन मूल्य पर धान की खरीदारी शुरू हो गई है, लेकिन अधिकांश पैक्स गोदाम में ताला लटका पड़ा है. वहीं, बिचौलिए के गोदाम फूल नजर आ रहे हैं. किसानों को धान बेचना मजबूरी भी है. लेकिन इस समय पैक्स अध्यक्ष के लिए धान खरीदने से ज्यादा चुनाव की तैयारी पर समय देना पड़ रहा है. ऐसे में किसान मजबूर हैं. खेती करने के लिए इन्हें पैसा चाहिए तो कम कीमत पर ही बेचकर अपनी खेती करते किसान नजर आ रहे हैं. बताते चले कि प्रखंड क्षेत्र भी 26 नवंबर को पैक्स का चुनाव होना है. अगले दिन उसकी गिनती होगी यानी पूरे महीने चुनावी प्रक्रिया में निकल जाएगा. धान की कटनी और इसे तैयार कर किसान हर हाल में बेचकर अगली फसल लगाने की जुगत में है. ऐसे में सरकार के समर्थन मूल्य का लाभ किसानों को नहीं मिल रहा है. किसानों का कहना है कि पैक्स के द्वारा तो टारगेट के मुताबिक धान की खरीदारी कागज पर ही दिखा दी जाएगी. परेशानी तो किसानों को हो रही है. बताते चले की प्रखंड क्षेत्र के 16 पैक्स के चुनाव होने हैं. विगत कई सालों से 3 से 4 पैक्स के द्वारा धान की खरीदारी नहीं की जा रही है. सरकार के द्वारा सारी व्यवस्था देने के बावजूद पैक्स से किसानों को लाभ नहीं मिला है. ऐसे में किसान एक बार फिर अपनी उपज का उचित लाभ पाने से वंचित हो सकते हैं. किसानों के द्वारा बताया गया कि पैक्स से धान बेचने में काफी मीन मेख निकाला जाता है. बिचौलिए कम दाम पर ही सही जैसा धान मिले वैसा खरीद लेते हैं. कई पैक्स अध्यक्षों ने बताया कि अभी उनका पूरा समय चुनाव में जा रहा है. चुनाव की घोषणा होने के बाद ही इस तरफ पूरा समय दिया जाएगा. ऐसे में तो धान ही नहीं बचेगी फिर कहां से टारगेट पूरा करेंगे. लोगों का कहना है कि जैसा कि हर बार होता रहा है इस बार भी कागज पर ही बटाईदार और भूमिहीनों से धान की खरीद की कर खानापूरी की जाएगी.
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