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तकनीकी सहयोग से धान का किया गया प्रत्यारोपण

डा राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय स्थित कृषि विज्ञान केंद्र बिरौली के तकनीकी सहयोग से ऊसर भूमि में धान की फसल का प्रत्यारोपित किया गया

पूसा : डा राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय स्थित कृषि विज्ञान केंद्र बिरौली के तकनीकी सहयोग से ऊसर भूमि में धान की फसल का प्रत्यारोपित किया गया. सीएसआर 46 एक नमक सहिष्णुता धान की किस्म है. जिसे 2016 में करनाल के केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान ने विकसित किया है. यह एक मध्यम पतली किस्म है जो सामान्य और लवणीय मिट्टी दोनों में अच्छी तरह से विकसित हो सकती है. विशेष रूप से बंजर भूमि के लिए उपयुक्त है. इस प्रभेद की उपज क्षमता बंजर भूमि में 46 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और सामान्य भूमि में इससे अधिक उत्पादन लिया जा सकता है. इस प्रत्यक्षण को जिले के कर्पूरीग्राम स्थित ऊसर भूमि जो नित्यानंद ठाकुर के ऊसर खेतों के सुधार के लिए कृषि विज्ञान केंद्र बिरौली ने पहल की है. शुरुआत में कुछ सुधार कर धान की एक प्रजाति सीएसआर 46 का प्रत्यक्षण किया गया. यह प्रजाति भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान, करनाल से विकसित किया गया है. कृषि विज्ञान केंद्र के तकनीकी सहयोग से धान का प्रत्यारोपण किया गया. इसमें निदेशक प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ मधुसूदन कुंडू, वस्तु विषय विशेषज्ञ फसल सुरक्षा कृषि विज्ञान केंद्र बिरौली सुमित कुमार सिंह एवं वरिष्ठ तकनीकी सहायक विद्यापति चौधरी आदि मौजूद थे.

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