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शारीरिक शिक्षकों की बहाली की जगी आस, शारीरिक शिक्षा मुख्य विषय में शामिल

प्राथमिक, मध्य, माध्यमिक व उच्च माध्यमिक कक्षा के लिए विभाग ने प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी के माध्यम से सभी विद्यालयों से शारीरिक शिक्षा शिक्षक के कार्यरत व रिक्त पदों की जानकारी मांगी है.

समस्तीपुर : प्राथमिक, मध्य, माध्यमिक व उच्च माध्यमिक कक्षा के लिए विभाग ने प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी के माध्यम से सभी विद्यालयों से शारीरिक शिक्षा शिक्षक के कार्यरत व रिक्त पदों की जानकारी मांगी है. स्वीकृत बल के आधार पर रिक्ति भेजने को कहा गया है. बीईओ को भेजे पत्र में कहा गया है कि स्थानीय निकाय सक्षमता परीक्षा उत्तीर्ण सफल शारीरिक शिक्षक के पदस्थापना के लिए विद्यालय में विद्यार्थी के संख्या भी उपलब्ध करायें. उक्त जानकारी विभागीय प्रपत्र में हार्ड व सॉफ्ट कॉपी में उपलब्ध कराना है, जिसमें कक्षा 1 से 5 प्राथमिक, कक्षा 6 से 8 मध्य, कक्षा 9 से 10 माध्यमिक व कक्षा 11 से 12 उच्च माध्यमिक के लिए अलग-अलग स्वीकृत पद के आलोक में कार्यरत बल व रिक्ति मांगी गई है. सेल्फ स्टडी कर छात्र-छात्रा परीक्षा देते हैं और गैर विषय शिक्षक द्वारा कॉपी जांच के बाद अच्छे अंक से पास भी कर जाते हैं. नई शिक्षा नीति 2020 में शारीरिक शिक्षा विषय को मुख्य विषय में शामिल होने के बाद भी जिले ही नहीं बल्कि बिहार के किसी भी उच्चतर माध्यमिक कक्षा में पढ़ाने के लिए इस विषय के शिक्षकों की रिक्ति व बहाली की पहल विभाग नहीं कर पाया है. इस वजह से उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में जहां विषय की पढ़ाई से हजारों छात्र-छात्रा वंचित होते है. शिक्षक सिद्धार्थ शंकर बताते है कि नई शिक्षा नीति का लक्ष्य है, शिक्षार्थी का संपूर्ण विकास जिसे साक्षरता,संख्याज्ञान, तार्किकता, समस्या समाधान, नैतिक, सामाजिक, भावनात्मक मूल्यों के विकास के द्वारा सम्भव किया जा सके. कला शिक्षा व शारीरिक शिक्षा को हमेशा से ही शिक्षा का महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता रहा है. नीति एवं वैचारिक दस्तावेजों में भी रेखांकित किया जाता रहा है कि खेल व कला के सभी पहलू, बौद्धिक विकास एवं औपचारिक विषयों की अवधारणाओं की समझ के विकास में महती भूमिका अदा करते हैं. यह भी कि समाजीकरण की प्रक्रिया एवं भावनात्मक और संवेदनात्मक विकास में भी कला व खेलकूद की अहम भूमिका है. शिक्षा में खेलों को एकीकृत करने की हिमायत करते हुए राष्ट्रीय खेल नीति 2001 खेलों एवं शारीरिक शिक्षा को शैक्षिक पाठ्यक्रम के साथ मिलाने तथा इसे सेकेंड्री स्कूल तक शिक्षा का अनिवार्य हिस्सा बनाने और इसे विद्यार्थी की मूल्यांकन पद्धति में सम्मिलित करने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है. किंतु वास्तविक स्कूली परिस्थितियों में ज्ञान के इन दोनों हिस्सों के प्रति उदासीनता ही दिखाई देती है. स्कूली शिक्षा में भी चन्द विषयों को ही मुख्य माना जाता है और इन पर ही विशेष जोर दिया जाता है. इन विषयों में बच्चों की उपलब्धियों को जांचने के लिए मासिक परीक्षण और वार्षिक परीक्षाओं सहित पूरे वर्ष मूल्यांकन के लिए एक औपचारिक प्रक्रिया होती है.

स्कूल में शारीरिक शिक्षा का महत्व

डीपीओ माध्यमिक नरेंद्र कुमार सिंह बताते हैं कि शारीरिक शिक्षा से सीधा तात्पर्य है कि अच्छे स्वास्थ्य के लिए शारीरिक श्रम को महत्व प्रदान करना. शारीरिक शिक्षा शब्द का इस्तेमाल शरीर को स्वस्थ बनाने के लिए की जाने वाली गतिविधियों के लिए किया जाता है. आधुनिक समय में शारीरिक शिक्षा का महत्व बहुत बढ़ गया है. इसलिए लोग अब शारीरिक शिक्षा से जुड़ी बहुत सी क्रियाएं करने लगे हैं. सभी प्रकार शारीरिक गतिविधियां, व्यायाम, खेलकूद, एडवेंचर स्पोर्ट्स आदि विषय आते हैं. इसके अलावा व्यक्तिगत स्वास्थ्य और जन स्वास्थ्य भी शारीरिक शिक्षा का ही एक हिस्सा है. शारीरिक शिक्षा से बच्चों का सम्पूर्ण विकास होता है. अगर वे शारीरिक रूप से मजबूत होंगे तो वे पढ़ाई में भी अच्छा कर सकेंगे. अगर वे बीमार रहेंगे तो उनका मन पढ़ाई में भी नहीं लगेगा. इसलिए स्कूल में शारीरिक शिक्षा बहुत ही जरूरी है. आधुनिक समाज में शारीरिक शिक्षा का महत्व स्कूली स्तर बहुत अधिक है. इसकी मदद से देश को अच्छे खिलाड़ी बनते हैं जो देश के लिए ट्रॉफी और मेडल और जीतकर लाते हैं और विश्व में देश का नाम रोशन करते हैं.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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