आलू फसल झुलसा रोग से होगा प्रभावित : डा तिग्गा

डा राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विवि के आलू वैज्ञानिक डॉ. अमन तिग्गा ने बताया कि आलू की बुआई 15 अक्टूबर से 15 नवम्बर के बीच करने की जरूरत है.

By Prabhat Khabar News Desk | February 11, 2025 10:51 PM

पूसा : डा राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विवि के आलू वैज्ञानिक डॉ. अमन तिग्गा ने बताया कि आलू की बुआई 15 अक्टूबर से 15 नवम्बर के बीच करने की जरूरत है. इससे बिलंब बुआई करने पर इसका उत्पादन प्रभावित होता है. उन्होंने कहा निर्धारित अवधि के बाद बुआई करने पर तापमान में बढ़ोतरी होने लगती है जो कंद बनने से रोकता है. इसके कारण उत्पादन में कमी आती है. रोग के लक्षण दिखने पर, ब्लाइटॉक्स-50 या मैंकोजेब की दवा का छिड़काव करें. बीजों को मेटालोक्सिल नामक दवा में आधा घंटे भिगोकर, फिर छाया में सुखाकर बोयें. आलू की पत्तियों पर कवक का प्रकोप रोकने के लिए, बोड्रेक्स मिश्रण या फ़्लोटन का छिड़काव करें. एक ही फ़ंगसनाशक का बार-बार छिड़काव न करें. छिड़काव करते समय, नाज़िल फसल की नीचे की तरफ से ऊपर की तरफ करके छिड़काव करें. रोग के लक्षण दिखने के बाद, साइमोक्सेनील, मैनकोजेब या फेनोमेडोन दवा का छिड़काव करें. डा तिग्गा ने बताया कि पछेती झुलसा रोग से बचने के लिए, कैटायनी डिस्मिस का इस्तेमाल करें. यह एक सिस्टमिक फ़ंगसनाशक है. झुलसा रोग के लक्षण के अनुसार आलू की पत्तियां किनारे और सिरे से झुलसना शुरू होती हैं. पौधों के ऊपर काले चकत्ते दिखाई देते हैं. ये चकत्ते बाद में कंद को भी प्रभावित करते हैं. आलू वैज्ञानिक डा तिग्गा ने मूलरूप से बताया कि झुलसा रोग से बचने के लिए समय रहते दवाओं का छिड़काव करें.

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