Quality Honey Production: पूसा : डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा में मधु उत्पादन में वैज्ञानिक पद्धति से उद्यमों को मजबूत बनाने व मधु का मूल्य संवर्धन विषय पर चल रहे छह दिवसीय प्रशिक्षण के दूसरे दिन प्रतिभागियों को सैद्धांतिक एवं प्रायोगिक तकनीकी ज्ञानवर्धन किया गया. इसी कड़ी में वैज्ञानिक मुकेश कुमार सिंह ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए बताया कि मधुमक्खी पालन से संबंधित यंत्रों सहित तकनीकों पर विस्तार से चर्चा की गयी. मधुमक्खी पालन के क्षेत्र में कुछ उत्पादकों को गुणवत्तायुक्त मधु उत्पादन के बावजूद उचित मूल्य नहीं मिलता है. इसलिए उत्पादकों को एफपीओ के माध्यम से जुड़कर देश ही नहीं विदेशों के बाजार से भी बेहतर लाभ लिया जा सकता है.
Quality Honey Production:मधु के बाजारीकरण के लिए ब्रांडिंग, पैकेजिंग एवं लेवलिंग पर विशेष रूप से ध्यान देने की आवश्यकता
मधु के बाजारीकरण के लिए ब्रांडिंग, पैकेजिंग एवं लेवलिंग पर विशेष रूप से ध्यान देने की आवश्यकता है. उत्पादकों को बाजार में एक स्थिर व्यवसाय के रूप में अपनी छवि को बरकरार कर बेहतर उद्यमी का दर्जा प्राप्त करने की जरूरत है. अधिकांशतः ज्यादा मुनाफा कमाने की होड़ में मिलावट या कम गुणवत्ता वाली बाजार में भेजने से उत्पादकों की छवि धूमिल हो जाती है. साथ ही उससे होने वाली क्षति भी उत्पादकों को ही उठानी पड़ती है. इस संबंध में अभी कुछ ही दिन पहले दिल्ली की एक जानी मानी संस्था सेंटर फॉर साइंस एंड इन्वार्नमेंट के हवाले छपी खबर हवाला दिया गया. जिसमें देश के विख्यात ब्रांड के शहद को गुणवत्ताहीन बताया गया था. वहीं डॉ. सिंह के अनुसार व्यवसाय में लंबे समय तक टिके रहने के लिए एवं प्रतिस्पर्धायुक्त माहौल में बरकरार रहने के लिए उत्पाद के गुणवत्ता के मापदंड पर खड़ा रहने की आवश्यकता होती है. इसके साथ-साथ सरकारी नियमानुसार एफएएसएसएआई के मापदंडों के अनुसार भी पंजीकृत होना जरूरी है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है