सरकारी विद्यालयों में दिये गये बेंच-डेस्क की गुणवत्ता पर उठ रहे सवाल
खंड के सरकारी विद्यालयों में वर्षों से छात्र जमीन पर बैठ रहे थे. इस बार यह कमी दूर की गई. प्राथमिक से उच्च विद्यालयों तक बड़ी संख्या में शिक्षा विभाग ने बेंच-डेस्क की आपूर्ति करायी. लेकिन बेंच- डेस्क की गुणवत्ता और उनकी मानकता को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं.
मोहनपुर : प्रखंड के सरकारी विद्यालयों में वर्षों से छात्र जमीन पर बैठ रहे थे. इस बार यह कमी दूर की गई. प्राथमिक से उच्च विद्यालयों तक बड़ी संख्या में शिक्षा विभाग ने बेंच-डेस्क की आपूर्ति करायी. लेकिन बेंच- डेस्क की गुणवत्ता और उनकी मानकता को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं. खास बात तो यह है कि इसके संबंध में प्रखंड शिक्षा कार्यालय को कोई सूचना नहीं है. उल्लेखनीय है कि मोहनपुर प्रखंड में कुल 11 पंचायत हैं और सभी पंचायत में एक-एक माध्यमिक विद्यालय भी हैं. धरणीपट्टी पूर्वी और डुमरी उत्तरी पंचायत में पहले से एक-एक माध्यमिक विद्यालय स्थापित है. जबकि शेष नौ पंचायत में एक-एक मध्य विद्यालय को उत्क्रमित करते हुए उन्हें उच्च माध्यमिक विद्यालय बनाया गया है. इनके अतिरिक्त मध्य विद्यालय और प्राथमिक विद्यालयों के सम्मिलित संख्या 56 है. लंबे समय से इन विद्यालयों में बेंच डेस्क का अभाव था. मध्य विद्यालय में तो बेंच डेस्क की उतनी कमी थी कि छात्र जमीन पर बैठते थे. लेकिन इस बार प्राथमिक विद्यालय से लेकर उच्च माध्यमिक विद्यालय तक बड़ी संख्या में बेंच-डेस्क की आपूर्ति की गई. लेकिन ताज्जुब की बात है कि बेंच डेस्कों की संख्या, उसके मानक व गुणवत्ता, उनके निर्धारित मूल्य के संबंध में प्रखंड शिक्षा कार्यालय को जानकारी नहीं है. लेखपाल योगेश कुमार एवं प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी अजीत कुमार ने बताया कि न तो उन्हें प्रधानाध्यापकों ने बेंच-डेस्क की उपलब्धता के संबंध में कोई सूचना दी. न ही जिला कार्यालय में उन्हें मॉनिटरिंग का अवसर दिया. खास बात यह है कि इस छोटे से प्रखंड में आनन-फानन में हजारों बेंच डेस्क की आपूर्ति की गई. यह आपूर्ति तब हुई जब वित्तीय वर्ष 2023-24 का समापन हो रहा था. अर्थात मार्च 24 के अंत में अवशेष राशि को भुनाने की कवायद की गई. आनन-फानन में जिला शिक्षा कार्यालय ने अपने स्तर से प्रखंड के विद्यालयों में बेच डेस्क की आपूर्ति करने वाले एजेंसियों को भेज दिया. इन एजेंसियों से आये हुए लोगों ने संबंधित प्रधानाध्यापकों से सीधे भेंट की और उन्हें बेंच डेस्क उपलब्ध करा दिया. बताया जाता है कि इस बेंच डेस्क में पदाधिकारी से लेकर प्रधानाध्यापक तक कमीशनखोरी चली. कुछ लोगों ने बताया कि बेंच- डेस्क शीशम और आम की लड़कियों को देना था. जबकि एजेंसियों ने कमजोर लड़कियों सनमाइका और प्लाई से बने हुए बेंच डेस्क विद्यालय को बेच दिये. विद्यालय को बेचे गये बेंच-डेस्क इतने कमजोर हैं कि सनमाइका और प्लाई अभी से उखड़ने लगे हैं. बताया जाता है कि एक सेट बेच डेस्क की कीमत के रूप में प्रधानाध्यापकों से 5000 के वाउचर पर हस्ताक्षर लिया गया. बेच डेस्क की गुणवत्ता को देखते हुए यह बहुत अधिक है. इससे शिक्षा विभाग पर संदेह होना स्वाभाविक है. डिस्कों में दराज देना था. लेकिन अधिकांश डेस्क दराज विहीन दे दिए. प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी अजीत कुमार से पूछे जाने पर बताया कि इस संबंध में उन्हें मानक, स्तर और मूल्य की कोई जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई.
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