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Ram Katha:राम कथा जड़ता से निकालकर मनुष्यता प्रदान करती है : पुष्पांजलि

Ram Katha removes inertia and provides humanity.

Ram Katha: मोहिउद्दीननगर : प्रखंड के हरैल दुर्गा मंदिर परिसर में शारदीय नवरात्र के उपलक्ष्य में आयोजित नौ दिवसीय रामकथा श्रवण को लेकर शुक्रवार को श्रद्धालुओं की भीड़ पड़ी. वृन्दावन से पधारी कथावाचिका पुष्पांजलि ने व्यासपीठ से कथा बांचते हुए कहा कि राम स्वयं करुणानिधान व करुणा के सागर हैं. जो उनका सहारा ले ले लेता है वह भवसागर से पार हो जाता है. राम सुधारने की बात नहीं करते, वह स्वीकारते हैं. खुद को सुधारो, दूसरों को स्वीकार करो. सबको जोड़ना राम की विचारधारा है. रामकथा हमें जड़ता से निकालकर मनुष्यता प्रदान करती है.कहा कि प्रेम और भक्ति जिसके पास होती है,उसके पास दुःख नहीं आ सकता. प्रेम हमारी दिशा बदलता है और भक्ति दशा बदल देती है. धर्म मात्र बौद्धिक उपलब्धि नहीं वह मनुष्य की स्वाभाविक आत्मा है. मनुष्यता के आवरण से ढका है. इस कारण वह अज्ञात है. आवरण से उसका चैतन्य ढका हुआ है. लेकिन वह अस्त नहीं है. सत्य को जीवन में मन वचन और कर्म से स्वीकार करना चाहिए. सत्य का आचरण करने वाला व्यक्ति सामाजिक जीवन में प्रतिष्ठा व सम्मान प्राप्त करते हैं. सत्य के कारण ही हम एक दूसरे पर विश्वास करते हैं.

Ram Katha:परस्पर विश्वास पर ही समाज की नींव रखी है.

परस्पर विश्वास पर ही समाज की नींव रखी है. युवा अपनी आध्यात्मिक उन्नति के लिए स्वयं की खोज करें क्योंकि दूसरे की खोज हमें व्यर्थता में ले जाती है. हमें मात्र स्वयं की खोज में अपनी ऊर्जा लगानी चाहिए. प्रेम तो हर किसी से होना चाहिए, पर परम प्रेम परमात्मा से होना चाहिए. संसार में जो प्राप्त है,वही पर्याप्त है. उसमें ही संतुष्ट होना चाहिए. जीवन में दुःख में एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए. प्रभु श्रीराम का जीवन चरित्र आज भी हम सबको मर्यादित रहने की प्रेरणा देता है. उनकी कथा भारतीय संस्कृति की मधुरता, सामाजिक सौहार्द, परिवार की जिम्मेदारी तथा सबके प्रति सम्मान की आदर्श गाथा है. हमें उसी आदर्श को जीने का प्रयास करना चाहिए. जिससे हमारा देश विश्व गुरु होगा और सच्चे अर्थ में राम राज्य की स्थापना होगी. इस दौरान सुमधुर भजनों को सुनकर श्रद्धालु भक्ति सागर में गोते लगा रहे थे. संजीव कुमार सिंह, सपना देवी, रामदयाल सिंह, पंकज सिंह, श्रवण सिंह, पूर्व सरपंच बुंदेल साह, शबनम सिंह, रविंद्र सिंह, बलवंत सिंह, विशाल सिंह सहित ग्रामीणों की कथा के दौरान सक्रियता देखी गई.

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