Relative efficiency will be provided: समस्तीपुर : स्कूल से बाहर व छीजित बच्चों को चिह्नित कर स्कूल में नामांकन कराकर वर्ग सापेक्ष दक्षता दिलायी जायेगी. जिला शिक्षा विभाग ने इसके लिए सभी बीईओ को पत्र जारी किया गया है. डीईओ ने पत्र भेज कर कार्रवाई शुरू करने का आदेश दिया है. सर्वेक्षण कार्य के लिए स्कूलों में हेल्प- डेस्क बनाया जायेगा. इसमें स्कूल के सबसे योग्य युवा शिक्षक अथवा शिक्षिका को नोडल के रूप में तैनात किया जायेगा. छह से 14 व 15 से 19 आयु वर्ग के बच्चों को चिह्नित करने की योजना है. स्कूल से बाहर के बच्चों से संबंधित सूचना देने के लिए माता-पिता अथवा अभिभावक व घर के अन्य वयस्क सदस्य या स्थानीय जन प्रतिनिधि विद्यालय में आने के लिए प्रेरित करेंगे. गृहवार भ्रमण के लिए स्कूल के एचएम व प्रधान शिक्षक ठोस रणनीति बनायेंगे. एचएम के नेतृत्व में सभी शिक्षकों के बीच पोषक क्षेत्र का बंटवारा करके एक-एक दिन घर का सर्वेक्षण कर रिपोर्ट जमा करेंगे. स्कूल से बाहर के जिन बच्चों की सूचना हेल्प डेस्क में अप्राप्त हो, उन घरों में जाकर सर्वेक्षण करना अनिवार्य होगा. इसके लिए विभाग ने 24 कॉलम का फॉर्मेट तैयार किया है.
Relative efficiency will be provided:शहरी क्षेत्र में बच्चों की सर्वेक्षण कराना जटिल कार्य है.
विभागीय अधिकारियों का मानना है कि शहरी क्षेत्र में बच्चों की सर्वेक्षण कराना जटिल कार्य है. कुछ बच्चे रेलवे स्टेशन, मंदिर- मस्जिद, चौक चौराहे पर घुमंतू है. 15 से 19 आयु वर्ग के नौवीं उतीर्ण वैसे बच्चे जो 10वीं या 11वीं में नामांकित नहीं हो सके हैं और 12वीं की परीक्षा ओपन स्कूलिंग के माध्यम से देना चाहते हैं उन बच्चों की सहमति प्राप्त कर आगे की कार्रवाई करेंगे. ताकि, बच्चे उम्र व वर्ग सापेक्ष दक्षता हासिल कर सकें. स्वयंसेवी संस्था एडेंट के मुताबिक करीब आठ हजार बच्चे स्कूल से बाहर है. डीईओ कामेश्वर प्रसाद गुप्ता ने बताया कि विद्यालय से बाहर के अनामांकित व छीजित बच्चों की पहचान कर उन्हें विद्यालयी शिक्षा की मुख्यधारा में शामिल करना है. इसके लिए विभाग प्रयास कार्यक्रम का संचालन कर रही है. इसी के तहत प्रखंड के विभिन्न विद्यालयों के नामित शिक्षकों को प्रशिक्षित भी किया गया है. बच्चों के छीजन को रोकने के लिए हमें भावनात्मक रूप से संवेदनशील होकर कार्य करने की जरूरत है. सामाजिक और आर्थिक कारण के साथ ही भावनात्मक कारण भी बच्चों के छीजन के लिए जिम्मेदार है. शिक्षकों को गरीब और वंचित वर्ग के बच्चों के प्रति भावनात्मक रूप से संवेदनशील बनना होगा. शिक्षकों को छीजित बच्चों के अभिभावक का किरदार भी निभाना होगा. वही स्वयंसेवी संस्था एडेंट के जिला समन्वयक मिथिलेश कुमार ने बताया कि लक्ष्य को हासिल करने का प्रयास किया जा रहा है. जब विद्यार्थी ज्ञान अर्जन कर शिक्षित होंगे तब भविष्य में समाज के निर्माण में अपना बहुमूल्य योगदान देकर अनुशासित और सभ्य समाज का निर्माण करेंगे. जो भी बच्चे अनाथ है और शिक्षा के महत्व को समझे बिना शिक्षा से दूर हट गए हैं, और उनका पढ़ाई अधूरा रह गया है और वे गांव में रहकर मजदूरी करते व घूमते रहते हैं, वैसे सभी बच्चों को चिन्हित कर पुनः शिक्षा के क्षेत्र से जोड़ने के लिए विद्यालय में नामांकन कराना है, ताकि उनका ठहराव हो और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देकर विद्यार्थी का शारीरिक, मानसिक आध्यात्मिक एवं सर्वांगीण विकास किया जा सके.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है