समस्तीपुर : जिलों के भूकंपीय जोन के हिसाब से पुराने भवनों के जोखिम का आकलन होगा. इसे लेकर भवन निर्माण विभाग ने सभी कार्यपालक अभियंताओं से पुराने और ऐतिहासिक भवनों की रैपिड विजुअल स्क्रीनिंग कर रिपोर्ट मांगी है. यह रिपोर्ट सात दिनों के अंदर भवन निर्माण विभाग को सौंपनी है. इसे लेकर विभाग के अभियंता प्रमुख सह अपर आयुक्त सह विशेष सचिव सुधांशु शेखर राय ने आदेश जारी किया है. कार्यपालक व अधीक्षण अभियंता को 10 श्रेणियों में पुराने व ऐतिहासिक भवनों की रैपिड विजुअल स्क्रीनिंग कर अंक देना है. इसमें सुरक्षित भवन को एक अंक और सबसे अधिक जर्जर, क्षतिग्रस्त व असुरक्षित भवन को 100 अंक देने हैं. अंत में क्षति श्रेणीकरण (ग्रेडेबिलिटी) के अनुसार अंक जारी करना है. अभियंता प्रमुख ने बताया है कि बिहार के सभी जिले भूकंप के लिए अति संवेदनशील हैं. जो जिले भी सिस्मिक जोन चार के अंतर्गत आता है. इसको देखते हुए पुराने भवनों की जोखिम का आकलन कराया जा रहा है. पत्र में कहा गया है कि सूबे के विभिन्न क्षेत्रों में भवनों के निर्माण में भारतीय मानक ब्यूरो के अनुसार भूकंपरोधी प्रावधान करना है. सूबे के विभिन्न हिस्सों में स्थित पुराने, ऐतिहासिक व पुरातात्विक भवन भूकंपीय दृष्टिकोण से अति संवेदनशील हैं. इसे संरक्षित करने को बिहार में आपदा जोखिम प्रकोष्ठ का भी गठन होना है. इधर, भवन निर्माण विभाग ने अभियंताओं को भूकंपीय स्थिति के आकलन को लेकर समय-समय पर प्रशिक्षण देने की बाम कही है. कहा है कि मॉडल डिजाइन यूनिट अपने कार्यों के अतिरिक्त क्षेत्रीय अभियंताओं को भूकंप के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण भवनों के रेट्रोफिटिंग से संबंधित ऑडिट करनी चाहिए. इसका नियमित समय पर अध्ययन भी करना चाहिए.
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