मोहिउद्दीननगर : कुश्ती हमारी परंपरा से जुड़ा है. इससे सिर्फ न शारीरिक सौष्ठव का विकास होता है बल्कि मानसिक विकास के साथ आत्मविश्वास में वृद्धि होती है. कुश्ती की पारंपरिक कला को सहेजने के लिए वर्तमान परिवेश में युवाओं को आगे आने की जरूरत है. यह बातें रविवार को पतसिया में आयोजित चार दिवसीय अंतरराज्यीय दंगल प्रतियोगिता के फाइनल मुकाबले के बाद पुरस्कार वितरण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पूर्व एमएलएसी राणा गंगेश्वर प्रसाद सिंह ने कही. प्रतियोगिता का आयोजन लक्ष्मी पूजा समिति की ओर से किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व सैन्य अधिकारी राणा संत सिंह ने की. जिसमें पहलवानों ने दांव पेंच व दमखम दिखाकर कुश्ती प्रेमियों को रोमांचित कर दिया. गौरव, चंदन, कलुआ, मांगे, कुलदीप, हुकुम, साबिर नूर, रवि, इंद्रमणि, अनुराग, उमर, फारुक, सुमन, प्यारे, सोनू, मिथिलेश, जफर, आकाश, अभिजीत, गोलू,शुभम, ललन, विक्की राणा, जाफरान, काले बाबू सहित पांच दर्जन से ज्यादा पहलवानों ने पारंपरिक कुश्ती कला का शानदार नमूना प्रस्तुत कर गुम होती जा रही इस कला को जीवंतता प्रदान की. फाइनल मुकाबला आगरा के विष्णु गर्ग पहलवान व मेरठ के साबिर नूर पहलवान के बीच खेला गया. जिसमें साबिर नूर पहलवान ने रोमांचक मुकाबले में विष्णु गर्ग पहलवान को पटखनी देकर विजेता बनने का गौरव हासिल किया. निर्णायक की भूमिका राणा खड्गबहादुर सिंह ने निभायी.
आंखों देखा हाल भी सुनाया
वहीं आंखों देखा हाल शिक्षक राणा अजय कुमार सिंह व राजेश कुमार सिंह ने सुनाया. समिति की ओर से विजेता, उपविजेता व प्रतियोगिता में भाग लेने वाले सभी पहलवानों को नकद राशि, प्रशस्ति पत्र व मेडल देकर सम्मानित किया गया. इस मौके पर जनसुराज के प्रांतीय नेता राजकपूर सिंह,पैक्स अध्यक्ष राणा संजीव सिंह,राणा राजेंद्र सिंह, राणा शशि सिंह, राणा देवानंद सिंह, राणा पंकज सिंह, पूर्व मुखिया राणा प्रभाकर सिंह राणा दीनदयाल सिंह, राणा राम प्रवेश सिंह, राणा विष्णु सिंह,राणा शुभे सिंह सहित ग्रामीणों की सक्रियता देखी गई.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है