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महान समाज सुधारक थे संत कबीर

संत कबीर महान समाज सुधारक थे. कबीर का जीवन दर्शन विद्वानों के लिए बड़ा ही कठिन और दुरुह है. सामान्य जनों के लिए बड़ा सहज और सरल है.

मोरवा : संत कबीर महान समाज सुधारक थे. कबीर का जीवन दर्शन विद्वानों के लिए बड़ा ही कठिन और दुरुह है. सामान्य जनों के लिए बड़ा सहज और सरल है. यह बातें विक्रमपुर में आयोजित कबीर जयंती समारोह को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कही. समारोह के आयोजक सारंगपुर पश्चिमी पंचायत के मुखिया सुनील कुमार राय संचालक थे. अध्यक्षता करते हुए आचार्य कपिलदेव चौधरी स्पष्ट किया कि जब महात्मा कबीर कहते हैं कि पहली भिक्षा मांस की लाना, गांव नगरिया पास न जाना.जिंदा मुर्दा छोड़ के लाना, लाना हांड़ी भर के. दूसरी भिक्षा आग की लाना

गांव नगरिया पास न जाना. लाना खप्पर भरके. तीसरी भिक्षा जल की लाना

ताल-तलैया पास न जाना. नदी-नाला छोड़ के लाना. लाना तुमड़ी भर के.

चौथी भिक्षा आग की लाना जंगल-झाड़ के पास न जाना गीली-सूखी छोड़ के लाना. लाना गट्ठर भर के तब बड़े-बड़े विद्वानों फेल हो जाते हैं. निरक्षर कबीर के ज्ञान के आगे उनका दिमाग चक्कर खाने लगता है. अरुण कुमार सिंह मालपुरी ने कहा कि कबीर दास ने सामाजिक कुरीतियों पर करारा प्रहार कर, पाखंड हीन स्वस्थ समाज का निर्माण कर, युगावतार का काम किया था. मौके पर राजीव कुमार झा, प्रखंड अध्यक्ष नारायण शर्मा, अर्जुन राय, कृष्ण कुमार झा, कन्हैया कुमार राय, डॉ राजन शर्मा, श्याम कुमार राय, हरिश्चंद्र राम आदि मौजूद थे.

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