समस्तीपुर : मेरी पहचान किसी की मोहताज नहीं प्रतिनिधि, समस्तीपुर . समस्तीपुर के कई ऐतिहासिक स्थल अतुल्य भारत के हैं जीवंत प्रमाण. एक-एक प्रखंड कालखंड का साक्षी. महाकाव्य काल से लेकर मौर्य, शुंग और गुप्त शासनकाल तक का इतिहास. इन पर बेशक समय की मोटी परत चढ़ गई है, पर ऐतिहासिकता कण-कण में कायम. सांसद का बयान आने के बाद से आमलोगों में काफी आक्रोश है. समस्तीपुर बिहार का महत्वपूर्ण लोकसभा सीट है. यह क्षेत्र समाजवादियों का गढ़ रहा है. यहीं शिव के अनन्य भक्त एवं महान मैथिल कवि विद्यापति ने यहां गंगा तट पर अपने जीवन के अंतिम दिन बिताये थे. यहां 1844 में बना शिवमंदिर है, जहां हर वर्ष रामनवमी को मेला लगता है. मालीनगर हिन्दी साहित्य के महान साहित्यकार बाबू देवकीनंदन खत्री एवं शिक्षाविद् रामसूरत ठाकुर की जन्मस्थली भी है. छात्र संगठनों का कहना है कि सांसद बनने के बाद कम से कम उन्हें समस्तीपुर से जुड़ी जानकारी रखनी चाहिए. करंट अफेयर्स में भी समस्तीपुर कई मुद्दे को लेकर चर्चित है. जिले का इतिहास काफी समृद्ध रहा है समस्तीपुर की विशिष्ट पहचान रही है. जिले का इतिहास काफी समृद्ध रहा है. मैथिली, अंगिका, बज्जिका एवं मगही भाषा का प्रभाव इस जिले की बोली पर है. गंगा से लेकर बागमती तक फैले इस क्षेत्र के कई लोगों ने न केवल देश, बल्कि विश्व स्तर पर अमिट छाप छोड़ी है. जननायक कर्पूरी ठाकुर, सत्यनारायण सिंह, उद्यानाचार्य, महाकवि विद्यापति जैसी विभूतियों की यह धरती है. देश में सबसे ज्यादा उर्वर भूमि समस्तीपुर की रही है. इसी वजह से अंग्रेजी हुकूमत में देश का पहला कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा में स्थापित किया गया. इसके बाद कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना हुई. इसके बावजूद पहचान के संदर्भ में सांसद का बयान उनके बौद्धिक स्तर को बताता है. मुलायम सिंह यादव, छात्र नेता. :::::::::::::::::::::::::: लिच्छवी गणराज्य का भी अंग रह चुका है जिला राजा जनक के मिथिला प्रदेश का समस्तीपुर एक अंग हुआ करता था. आगे चल कर विदेह राज्य का जब अंत हुआ तब यह क्षेत्र लिच्छवी गणराज्य का अंग बन गया. यह मगध के मौर्य, शुंग कणव और गुप्त शासकों के साम्राज्य का अंग भी बना. हर्षवर्धन के साम्राज्य के अंतर्गत इस क्षेत्र के होने की बात ह्वेनसांग के विवरणों में देखने को मिल जायेंगे. सांसद का बयान किस प्ररिपेक्ष्य में था इसे भी समझना पड़ेगा. अनुपम कुमार झा, जिला संयोजक,अभाविप. :::::::::::::::::::::::::: सियासतदानों को आइना दिखाता है समस्तीपुर बिहार की सियासत और समस्तीपुर की जब भी चर्चा होती है, तो सबसे पहले एक नाम सामने आता है. वह नाम है गुदड़ी के लाल जननायक कर्पूरी ठाकुर का. जिनका विचार और दर्शन आज भी वर्तमान दौर के सियासतदानों को आइना दिखाती है. बावजूद सांसद का बयान उनके शैक्षणिक योग्यता पर प्रश्न चिह्न खड़े करने के लिए काफी है. सांसद के बयान में अज्ञानता का भाव दिख रहा है. सुनील कुमार, जिला सचिव, आइसा. :::::::::::::::::::::::: अपने बयान से सुर्खियों में आने का प्रयास कर रही देश की आजादी की लड़ाई में एक ऐसा नाम भी दर्ज है, जिसने बहुत कम उम्र में अपने प्राण न्योछावर कर दिये. खुदीराम बोस जैसे क्रान्तिकारियों ने हौसले पस्त करने करने में अहम योगदान रहा. उन्हें पता होना चाहिए था कि समस्तीपुर जननायक कर्पूरी ठाकुर की धरती रही है. लेकिन अपने बयान से सुर्खियों में आने का प्रयास कर रही है जिसकी जितनी निंदा की जाय कम होगी. रौशन कुमार, जिला सचिव, इंकलाबी नौजवान सभा (आरवाइए). ::::::::::::::::::::::::::::::: अतुल्य विरासत और समृद्ध परंपरा से है समस्तीपुर की पहचान है सांसद बनने से पहले शांभवी चौधरी को कौन जानता था. समस्तीपुर संसदीय क्षेत्र ने उन्हें नयी पहचान दी. बावजूद उनका बयान देना शर्मनाक है. अतुल्य विरासत और समृद्ध परंपरा से है समस्तीपुर की पहचान है. उजियारपुर प्रखंड स्थित देवखाल के बारे में मान्यता है कि यहां यक्ष व युधिष्ठिर के बीच संवाद हुआ था. पांडव हस्तिनापुर से सुरंग के माध्यम से भटकते हुए इसी चौर में पहुंचे थे. महेश कुमार, जिलाध्यक्ष, डीवाईएफआई.
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