पूसा: बिहार सरकार के सहकारिता एवं पर्यावरण जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. प्रेम कुमार ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक तकनीकी रूप से कमर कस ली है. विश्वविद्यालय स्तर से सभी तरह की तैयारियों में वैज्ञानिक अधिकतम तापमान में जूझने वाले प्रभेद एवं आधुनिक तकनीकों से बिहार के किसानों को लैस करने वाली शोध के अलावे विभिन्न संकायों के माध्यम से आयोजित प्रशिक्षण के बूते काबू करने की प्रयास में जुट गए हैं. साथ ही मंत्री डॉ. कुमार ने कहा कि मौसम का मिजाज बदल चुका है. ससमय बारिश का अभाव हो रहा है. बिहार कृषि प्रधान राज्य है. ऐसी स्थिति में वैज्ञानिकों को पेड़ पौधा लगाने की दिशा में निर्णायक फैसला लेने की जरूरत है. जिससे ग्लोबल वार्मिंग को कम किया जाये. राज्य के सभी नागरिकों को एक पेड़ अपनी मां के नाम लगाना चाहिए. चालू वित्तीय वर्ष में राज्य सरकार के आंकड़ों के मुताबिक चार करोड़ से अधिक पौधा लगाने का लक्ष्य बनाया गया है. बिहार में फिलवक्त सात प्रतिशत वनाच्छादन से बढ़कर 15 प्रतिशत तक पहुंच चुका है. अब 17 प्रतिशत का लक्ष्य हासिल करने की जरूरत है. वन प्राकृतिक संसाधन है, इसे बचाकर ही प्रदूषणमुक्त समाज का निर्माण संभव है. ये बातें डा राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय स्थित संचार केंद्र के पंचतंत्र सभागार में एक पेड़ अपने मां के नाम के तहत बिहार सरकार के वन पर्यावरण एवं सहकारिता मंत्री डॉ. प्रेम कुमार ने 75वें वन महोत्सव के अवसर पर वैज्ञानिकों को संबोधित कर रहे थे. इससे पहले मंत्री ने विश्वविद्यालय परिसर में पौधारोपण कार्यक्रम में शामिल होकर विषम परिस्थितियों में भी प्रकृति के साथ जूझते हुए किसान हित में शोध कार्यों को गति देने का भी नसीहत दी. कुलपति डॉ. पीएस पांडेय ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन विश्वस्तरीय समस्या है. पीएम के सपनों से कृषि के जरूरतों को अक्षरशः पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है. जिला वन संरक्षक अभय कुमार द्विवेदी ने कहा पर्यावरण में हो रही जलवायु परिवर्तन का मुख्य कारण पेड़ों का अप्रत्याशित रूप से काटना ही रहा है. इसकी भरपाई करने की जरूरत है. बढ़ते तापमान को पेड़ पौधा ही रोक सकता है. कुलसचिव डॉ. मृत्युंजय कुमार ने कहा कि सहकारिता प्रशिक्षण केंद्र को केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के साथ जोड़कर समाज एवं किसान हित में बेहतर कार्य किया जा सकता है. संचालन डॉ. जितेंद्र कुमार ने किया. वहीं धन्यवाद ज्ञापन प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ. एमएस कुंडू ने किया. मौके पर जिला वन कर्मियों सहित अधिष्ठाता, निदेशक वैज्ञानिक आदि मौजूद थे.
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