पूसा : डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के विद्यापति सभागार में जलवायु प्रतिरोधी कृषि कार्यक्रम को लेकर बैठक हुई. इसमें कार्यक्रम की प्रगति का मूल्यांकन व उससे जुड़े भविष्य की योजना बनाने पर विमर्श किया गया. बैठक 14 कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक शामिल हये. अध्यक्षता विवि के कुलपति डॉ. पीएस पांडेय ने की. कुलपति ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के दौर में कृषि के क्षेत्र में नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिए नवाचारी दृष्टिकोण व सहयोगी प्रयास महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में किसानों की खेती पर जलवायु परिवर्तन नकारात्मक प्रभाव डालने जा रहा है, इसलिए वैज्ञानिकों को एक पूर्ण सुरक्षित योजना के साथ तैयार होना चाहिए ताकि किसानों की खेती पर इसका प्रभाव शून्य हो सके. उन्होंने कहा कि 2047 तक भारत को विकसित देश बनने की आकांक्षा है. जिसमें कृषि का विकास महत्वपूर्ण पहलू होगा. उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों को जीन संपादन के साथ नई जलवायु प्रतिरोधी फसल प्रभेदों का विकास करना होगा. उन्होंने कार्यक्रम में शामिल वैज्ञानिकों की समर्पण व मेहनत की सराहना करते हुए उन्हें और ध्यान रखने की अपील की, जिन्होंने निरंतर वृद्धि शील कृषि अभ्यासों की ओर प्रयास किया है. कुलपति ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण खेती में उत्पन्न समस्या के निदान के लिए विवि अग्रसर है. उपस्थित निदेशक अनुसंधान डॉ. एके सिंह ने जलवायु प्रतिरोधी कृषि कार्यक्रम के भविष्य की योजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी.
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वैज्ञानिक जलवायु प्रतिरोधी फसलों को विकसित करें : वीसी
पूसा : डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के विद्यापति सभागार में जलवायु प्रतिरोधी कृषि कार्यक्रम को लेकर बैठक हुई. इसमें कार्यक्रम की प्रगति का मूल्यांकन व उससे जुड़े भविष्य की योजना बनाने पर विमर्श किया गया.
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