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पीएम श्री योजना में चयन के लिए 1019 विद्यालयों ने किया ऑनलाइन आवेदन

केन्द्र सरकार ने देश के भविष्य यानी स्कूली बच्चों की बुनियाद को पहले से ज्यादा मजबूत बनाने की दिशा में एक बेहतर कदम उठाया है.

समस्तीपुर : केन्द्र सरकार ने देश के भविष्य यानी स्कूली बच्चों की बुनियाद को पहले से ज्यादा मजबूत बनाने की दिशा में एक बेहतर कदम उठाया है. सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में एक बड़ा बदलाव किया है. देश के प्रधानमंत्री के द्वारा बच्चों के शिक्षा को स्मार्ट शिक्षा से जोड़ने के लिए एक नयी योजना को शुरू किया है. इस योजना के जरिए पुराने स्कूलों को एक नया रूप दिया जाएगा. इस योजना का नाम पीएम श्री योजना रखा गया है. जिले के 1019 विद्यालयों ने इस योजना के लिए गाइडलाइन के मुताबिक आवेदन किया है. विभूतिपुर के 88,बिथान के 17,दलसिंहसराय के 81,हसनपुर के 71,कल्याणपुर के 62,खानपुर के 28,मोहनपुर के 33,मोहिउद्दीननगर के 52,मोरवा के 37,पटोरी के 42,पूसा के 10,रोसड़ा के 38,समस्तीपुर के 63,सरायरंजन के 63,शिवाजीनगर के 68,सिंघिया के 52,ताजपुर के 46,उजियारपुर के 49,विद्यापतिनगर के 43 व वारिसनगर के 76 विद्यालय इस योजना के तहत पंजीकृत हुए है. स्कूलों की चयन प्रक्रिया तीन चरणों में होगी. पीएम श्री योजना के अंतर्गत जिन स्कूलों को अपग्रेड किया जाएगा वह सभी सरकारी स्कूल होंगे. इन स्कूलों का चयन राज्यों के साथ मिलकर किया जाएगा. पीएम श्री योजना के अंतर्गत सरकार 2022-23 से लेकर 2026 तक स्कूलों को अपग्रेड करने के लिए 27,360 करोड़ रुपये खर्च करेगी. प्रभारी डीईओ नरेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि पीएम श्री योजना के तहत स्कूल के साथ पढ़ने-पढ़ाने के तरीकों में बदलाव किया जाएगा. एक्सपेरिमेंटल, ट्रांसफॉर्मेशनल और होलिस्टिक यानी ऑलराउंड डेवलपमेंट/ इंटीग्रेटेड मेथड पर ध्यान दिया जाएगा. साधारण शब्दों में कहा जाए तो स्कूलों में बच्चों को इस तरह से अध्ययन कराया जाएगा ताकि उन्हें नई-नई चीजें सीखने को मिले उनमें रिसर्च करने की क्षमता विकसित की जा सके. स्कूलों में डिस्कवरी ओरिएंटेड और लर्निंग सेंट्रिक टीचिंग मेथड लागू की जाएगी. खेल-खेल में सीखने और टॉय बेस्ड टीचिंग होगी. ताकि बच्चों को याद रखने के लिए रटना ना पड़े. ””””””””पीएम श्री ”””””””” विद्यालयों की विशेषताएं

नई शिक्षा नीति 2020 के तहत ””””””””पीएम श्री”””””””” विद्यालयों के अंतर्गत शिक्षा में उच्च गुणवत्ता प्रदान करना है. जहां पर बच्चों को उनकी दक्षता के अनुरूप शिक्षण कार्य किया जा सके. यह विद्यालय उच्च गुणवत्ता की शिक्षा व बेहतर शैक्षणिक परिवेश के साथ अपने क्षेत्र के अन्य विद्यालयों के लिए भी आदर्श विद्यालय के रूप में परिभाषित होंगे. इन विद्यालयों को हरित ऊर्जा से परिपूर्ण विद्यालयों के रूप में उच्चकृत किया जाएगा. जैसे यहां पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग, सौर ऊर्जा, ठोस व द्रव्य अपशिष्ट, जैविक खेती, प्लास्टिक मुक्त आदि अवधारणाओं को विकसित किया जाएगा. ये विद्यालय तमाम आधुनिक सुविधाओं जैसे -कंप्यूटर लैब, साइंस लैब, गणित लैब, समृद्ध पुस्तकालय आदि से सुसज्जित किए जाएंगे. इन विद्यालयों में प्रयोगात्मक, समेकित, खेल आधारित, खोज आधारित, जिज्ञासा आधारित शिक्षण कार्य किए जाएंगे. यहां प्रत्येक विद्यार्थी के कक्षा के अनुरूप दक्षताओं के लिए निर्धारित लर्निंग आउटकम पर विशेष ध्यान दिया जाएगा. इन विद्यालयों के बच्चों के कौशल विकास पर भी ध्यान दिया जाएगा, ताकि बच्चों के क्षमता संवर्द्धन के साथ-साथ रोजगार परक संभावनाओं के लिए किया जा सके. इन विद्यालयों के लिए विद्यालय गुणवत्ता एवं मूल्यांकन फ्रेमवर्क भी विकसित किया जाएगा, जिसके माध्यम से बच्चे की दक्षता एवं शिक्षण व्यवस्था की गुणवत्ता का मूल्यांकन किया जा सके.

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