दलसिंहसराय : स्थानीय आरएल महतो इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन में गुरु-शिष्य परंपरा पर संगोष्ठी हुई. प्राचार्य डॉ. धर्मेंद्र कुमार ने कहा कि गुरु और शिष्य के बीच पवित्र एवं मधुर संबंध होते हैं. गुरु-शिष्यों को पुत्रवत मानना है. शिष्य गुरुओं को पितातुल्य मानते हैं. डीएलएड विभागाध्यक्ष मो. इमामुद्दीन ने कहा कि गुरु शिष्य को शिक्षा, कौशल एवं व्यवसायिक शिक्षा का ज्ञान अनिवार्य रूप से कराना चाहिए. उन्हें सदाचरण एवं चरित्र निर्माण का ज्ञान अवश्य कराना चाहिए. उनके सर्वांगीण विकास के लिए कठोर परिश्रम करनी चाहिए. व्याख्याता सर्वेश सुमन ने कहा कि शिष्य गुरुओं के आदेशों का पूर्ण निष्ठा से पालन करें. उन्हें आदर करना और सम्मान देना चाहिए. गुरु ही शिष्य को अंधकार से प्रकाश की ओर लाते हैं. उन्हें जीने की कला सिखाते हैं. इस अवसर पर पंकज गुप्ता, प्रशिक्षु श्रवण कुमार, कुमारी वीणा, संगीता कुमारी, शिवेश कुमार एवं नीरज कुमार ने हृदय स्पर्शी गीत गाये. कार्यक्रम को सफल बनाने में पल्लव पारस, दिनेश मिश्रा, मो. जावीर, अजय शर्मा, संतोष कुमार, श्वेता कर्ण, किरण चौधरी एवं दिलीप कुमार ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी.
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