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समस्तीपुर : शांभवी के व्यवहार ने वोटरों का मनमोहा

वैसे तो समस्तीपुर सुरक्षित संसदीय क्षेत्र लोजपा का पुराना किला रहा है. इस पर एनडीए के साथ जदयू के जुड़ने से इस चुनाव में और मजबूती आ गयी. लोजपा ने समस्तीपुर से शांभवी चौधरी को प्रत्याशी बनाने की घोषणा बहुत पहले ही कर दी.

समस्तीपुर : वैसे तो समस्तीपुर सुरक्षित संसदीय क्षेत्र लोजपा का पुराना किला रहा है. इस पर एनडीए के साथ जदयू के जुड़ने से इस चुनाव में और मजबूती आ गयी. लोजपा ने समस्तीपुर से शांभवी चौधरी को प्रत्याशी बनाने की घोषणा बहुत पहले ही कर दी. जिसके कारण वह क्षेत्र में पहले से संपर्क साधने लगी. इस दौरान लोगों के बीच जाने और उनसे बातचीत करने का तौर-तरीका, शांभवी का व्यवहार और व्यक्तित्व ने लोगों को अपनी ओर काफी आकर्षित किया. थोड़ी-बहुत कसर जो शेष रह गयी थी वह दरभंगा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से सभा के दौरान मंच से समस्तीपुर की लोजपा प्रत्याशी को लेकर की गयी चर्चा ने दूरगामी संदेश दिया. इस सभा के बाद से लोजपा प्रत्याशी लगातार क्षेत्र में बढ़त हासिल करती चली गयी. इसके साथ ही उनके ससुर आचार्य किशोर कुणाल के क्षेत्र में अपनी बहु के लिए किये गये संपर्क ने भी काफी हद तक मदद पहुंचाने का काम किया. आचार्य कुणाल ने बड़ी ही चतुराई के साथ सनातनियों के मन को टटोलकर उन्हें जगाया. साथ ही भाजपा और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर उन्हें पूरी ताकत देने का काम किया. जिसका नतीजा चुनाव परिणाम के रूप में सामने आया है. करीब दो लाख मतों के अंतर से शांभवी ने अपने प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस प्रत्याशी सन्नी हजारी को शिकस्त देने में कामयाबी हासिल की है. इसके विपरीत कांग्रेस प्रत्याशी सन्नी हजारी का नाम तय करने में कांग्रेस पार्टी की ओर से की गयी लेटलतीफी ने हार में बड़ी भूमिका अदा की है. कांग्रेस प्रत्याशी को क्षेत्र में संपर्क साधने का मौका कम मिला. उन्हें छोटी-बड़ी सभाओं में अपनी बात रखने का अवसर कम मिला. जिसका परिणाम सामने है. इसके साथ ही सन्नी हजारी अपने परंपरागत वोट बैंक को भी साध पाने में असफल रहे. वर्ष 2014 के नतीजों को देखें तो मोदी लहर में लोजपा की ओर से स्व. रामविलास पासवान के भाई रामचंद्र पासवान को कुल 270401 वोट मिला था. जबकि कांग्रेस प्रत्याशी डाॅ. अशोक कुमार को 263529 मत मिले थे. तब यह जीत का अंतर मामूली था. उस वक्त जदयू न तो एनडीए में शामिल थी और न ही कांग्रेस के साथ. इसके बाद वर्ष 2019 के चुनाव परिणाम को देखें तो जदयू के एनडीएम में शामिल होने के बाद लोजपा प्रत्याशी रहे रामचंद्र पासवान को 562443 मत मिले. वहीं कांग्रेस प्रत्याशी डा अशोक कुमार 310800 मत ला पाये. इस तरह एक बड़े अंतर से लोजपा ने समस्तीपुर सुरक्षित क्षेत्र से जीत दर्ज की थी. ताजा परिणाम को देखें तो पता चलता है कि स्व. रामचंद्र पासवान की जीत का अंतर तो शांभवी नहीं दोहरा पायी है लेकिन परदेसी होने के बाद भी उन्होंने जीत का अंतर काफी हद तक बनाये रखने में सफलता अर्जित कर ली है. अब जरूरत इस बात की है कि समस्तीपुर सुरक्षित क्षेत्र के लोगों के बीच रहने का भरोसा दिलाने वाली लोजपा सांसद शांभवी चौधरी को जनता से किये वायदे पर खड़ा उतरना होगा. अन्यथा फलक तक पहुंचाने वाली पब्लिक अंतर मन में सब कुछ पालकर पांच वर्ष तक अपने जबाव देने का इंतजार करती रहती है.

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