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जब से हुआ है उन्यासी पार, आ रही है समझ संसार असार करना नहीं किसी का प्रतिकार, चलने को हूं किसी क्षण तैयार. कुछ ऐसी ही कविताओं से गूंजता रहा केन्द्रीय विद्यालय के निकट स्थित कुसुम सदन का प्रांगण

समस्तीपुर : जब से हुआ है उन्यासी पार, आ रही है समझ संसार असार करना नहीं किसी का प्रतिकार, चलने को हूं किसी क्षण तैयार. कुछ ऐसी ही कविताओं से गूंजता रहा केन्द्रीय विद्यालय के निकट स्थित कुसुम सदन का प्रांगण. मौका था कुसुम पाण्डेय स्मृति साहित्य संस्थान के तत्वावधान में आयोजित काव्य सम्मेलन का. आगत अतिथियों का स्वागत डॉ. रामेश गौरीश ने किया. कार्यक्रम की अध्यक्षता मैथिली तथा हिन्दी के चर्चित रचनाकार डॉ. नरेश कुमार विकल ने की. संचालन गज़लकार प्रवीण कुमार चुन्नू ने किया. गज़लकार डॉ. चित्त रंजन प्रसाद सिंह मुख्य अतिथि के रूप में, वरिष्ठतम पत्रकार चांद मुसाफिर और प्रोफेसर हरि नारायण सिंह हरि विशिष्ट अतिथि के रूप में विराजमान रहे. कार्यक्रम के प्रारंभ में संस्था के अध्यक्ष शिवेंद्र कुमार पाण्डेय ने जुलाई में उत्पन्न हिन्दी साहित्य के आधार स्तम्भ मार्कण्डेय प्रवासी,पं. देवेन्द्र नाथ शर्मा, मुंशी प्रेमचंद डॉ. राम लखन राय,प्रो. मुन्नी सिन्हा, दिनेश दीन, चन्द्रधर शर्मा गुलेरी,इस्मत चुगताई के कृतित्व तथा व्यक्तित्व पर विशद चर्चा करते हुए उनके प्रति भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित की. राष्ट्र के वरिष्ठ स्वतंत्रता सेनानी मंगल पांडे,पं. चन्द्र शेखर तिवारी आजाद, लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के अलावा कारगिल शौर्य के अमर सेनानियों के प्रति भी हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित की. इस संस्थान के वरिष्ठ साहित्यकार रघुवंश प्रसाद रसिक के देहावसान पर भावभीनी श्रद्धांजलि दी गयी. गोष्ठी का प्रारंभ डॉ. राम सूरत दास द्वारा मां सरस्वती की आराधना से किया गया. सावन की फुहार, भोलेनाथ को समर्पित भजन के अलावा ग़ज़ल, हास्य व्यंग, रोमांटिक तथा पर्यावरण संबंधी रचनाओं सहित लव मैरिज की फैलती बीमारी पर करुण भोजपुरी गीत, मैथिली तथा बज्जिका की रचनाएं आकर्षण का केंद्र रहीं. डॉ. राम सूरत प्रियदर्शी,राज कुमार चौधरी, भुवनेश्वर मिश्र, दिनेश प्रसाद, रामाश्रय राय राकेश, राजकुमार राय राजेश, विष्णु कुमार केडिया, डॉ. सुनील कुमार चम्पारणी, दीपक कुमार श्रीवास्तव, राम लखन यादव, आचार्य परमानंद प्रभाकर, नरेंद्र कुमार सिंह त्यागी,मो. अयूब अंसार,मो. नूर इस्लाम,शुभम कुमार, स्मृति झा, डॉ. परमानंद लाभ, आफताब समस्तीपुरी, डॉ. चित्त रंजन प्रसाद सिंह आदि की रचनाएं खूब पसंद की गयी. समापन वरदान महादेव द्वारा धन्यवाद ज्ञापन से किया गया.

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