जिन क्षेत्रों में कम वर्षा हुई, वहां किसान ऊंची जमीन में सूर्यमुखी की बोआई करें

डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय के ग्रामीण कृषि मौसम सेवा केन्द्र के द्वारा किसानों के लिए सुझाव दिये गये है.

By Prabhat Khabar News Desk | July 6, 2024 11:16 PM

समस्तीपुर : डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय के ग्रामीण कृषि मौसम सेवा केन्द्र के द्वारा किसानों के लिए सुझाव दिये गये है. कहा गया कि जिन क्षेत्रों हल्की वर्षा हुई है, वहां किसान ऊंची जमीन में सूर्यमुखी की बोआई करें. इसके लिए मौसम अनुकूल है. मोरडेन, सुर्यर, सीओ-1 तथा पैराडेविक सूर्यमुखी की उन्नत संकलु प्रभेद है, जबकि केबीएसएच-1, केबीएसएच-44 सूर्यमुखी की संकर प्रभेद है. बोआई के समय प्रति हेक्टेयर 100 क्विंटल कम्पोस्ट, 30-40 किलो नेत्रजन, 80-90 किलो स्फुर एवं 40 किलो पोटाश का व्यवहार करें. बोआई के समय किसान 30 से 40 किलोग्राम गंधक प्रति हेक्टेयर की दर से व्यवहार कर सकते हैं. संकर किस्मों के लिए बीज दर 5 किलोग्राम तथा संकुल के लिए 8 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से रखें. किसान ऊंची जमीन में अरहर की बोआई करें. ऊपरी जमीन में बोआई के समय प्रति हेक्टेयर 20 किलोग्राम नेत्रजन, 45 किलोग्राम स्फुर,20 किलोग्राम पाेटाश तथा 20 किलोग्राम सल्फर का व्यवहार करें. बहार, पूसा-9 , नरेद्र अरहर-1, मालवीय-13, राजेन्द्र अरहर-1 आदि किस्में बोआई लिए अनुशंसित है. बीज दर 18-20 किलोग्राम प्रति हेक्टयेर रखें. बोआई के 24 घंटे पूर्व 2.5 ग्राम थीरम दवा से प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचार करें. बोआई के ठीक पहले उपचारित बीज को उचित राईजोबियम कल्चर से उपचारित कर बोआई करें. जो किसान खरीफ प्याज का बिचड़ा अब तक नहीं गिराये हों, उथली क्यारिओं में यथाशीघ्र नर्सरी गिराएं. नर्सरी में जल निकास की व्यवस्था रखें. एन-53, एग्रीफाउण्ड र्डाक रेड, अर्का कल्याण, भीमा सुपर खरीफ प्याज के लिए अनुशंसित किस्में हैं. बीज को कैप्टान या थीरम प्रति 2 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से मिलाकर बीजोपचार कर लें. पौधशाला को तेज धूप एवं वर्षा से बचाने के लिए 40 प्रतिशत छायादार नेट से 6-7 फीट की ऊंचाई पर ढ़क सकते हैं. प्याज के स्वस्थ पौध के लिए पौधशाला से नियमित रूप से खरपतवार को निकालते रहें. कीट-व्याधियों से नर्सरी की निगरानी करते रहें. उंचास जमीन में बरसाती सब्जियां भिंडी, लौकी, नेनुआ, करैला, खीरा की बोआई करें. गरमा सब्जियों की फसल में कीट-व्याधियोंं की निगरानी करते रहें.आम का बाग लगाने का यह समय अनुकूल चल रहा है. किसान अपनी पसंद के अनुसार अलग-अलग समय में पकने वाली किस्मों का चयन कर सकते हैं. मई के अन्त से जून माह में पकने वाली किस्में मिठुआ, गुलाबखास, बम्बई, एलफान्जों, जड़दालू, जून माह में पकने वाली किस्में लंगड़ा (मालदह), हेमसागर, कृष्णभोग, अमन दशहरी, जुलाई में पकने वाली किस्में फजली, सुकलु, सिपिया, तैमूरिया, अगस्त में पकने वाली किस्में समरबहिष्त, चौसा, कतिकी है. आम के संकर किस्मों के लिए महमूद बहार, प्रभाशंकर, आम्रपाली, मल्लिका, मंजीरा, मेनिका, सुन्दर लंगडा़ राजेंद्र आम-1, रत्ना, सबरी, जवाहर, सिंधु, अर्का, अरुण, मेनका, अलफजली, पूसा अरुणिमा आदि अनुशंसित है. कलमी आम के लिए पौधा से पौधा की दूरी 10 मीटर, बीजू के लिए 12 मीटर रखें.आम्रपाली किस्म की सघन बागवानी हेतु पौधों को 2.5 गुणा 2.5 मीटर की दूरी पर लगा सकते हैं. पहले ये तैयर गढ़ों में फलदार एवं वानिकी पौधों को लगाने का कार्य करें. पौधों को दीमक तथा सफेद लट कीट से बचाव हेतु 5 मिली क्लोरपाइरीफाॅस दवा 1 लीटर पानी में मिलाकर पौधा लगाने के बाद गड्ढे में दें. वर्षा जल का लाभ उठाते हुए जिन किसानों के पास धान का बिचड़ा तैयार हो वे नीची तथा मध्यम जमीन में रोपनी करें. धान की रोपाई के समय उर्वरकों का व्यवहार सदैव मिट्टी जांच के आधार पर करें. यदि मिट्टी जांच नहीं कराया गया हो तो मध्यम एवं लंबी अवधि की किस्मों के लिए 30 किलोग्राम नेत्रजन, 60 किलोग्राम स्फुर एवं 30 किलोग्राम पोटाश के साथ 25 किलोग्राम जिंक सल्फेट या 15 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर चिलेटेड जिंक का व्यवहार करें.

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