समस्तीपुर: छात्र जीवन से ही उनके मन में लोकतंत्र में मतदाता की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में समझ उत्पन्न करने के लिए सीबीएसई ने पहल को है. अब स्कूली बच्चे पढ़ाई के दौरान ही नेतृत्व के गुर सीखेंगे. एक अच्छे जनप्रतिनिधि में क्या-क्या गुण होने चाहिए, उनका जनता के प्रति कैसा रवैया होना चाहिए, किस तरह से आमलोगों के साथ-साथ प्रदेश और देश के हित में वह अपना योगदान दे सकते हैं, इन सबकी जानकारी उन्हें दी जायेगी. इतना ही नहीं, चुनाव की प्रक्रिया क्या होती है और किस तरीके से चुनावी प्रक्रिया पूरी होने के बाद चयनित जनप्रतिनिधियों को मंत्री बनाया जाता है, इन सारी कार्यवाही से छात्र-छात्राएं अवगत होंगे. यह सबकुछ केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से संबद्ध स्कूलों में बच्चों को बताया जाएगा. इसको लेकर बोर्ड की ओर से संबद्ध सभी स्कूलों के प्रधानाध्यापक और संचालकों को निर्देश जारी किया गया है. इसमें बोर्ड की अकादमिक निदेशक डॉ. प्रज्ञा एम सिंह ने सभी स्कूलों में मॉक इलेक्शन अनिवार्य रूप से और योजनाबद्ध तरीके से संचालित करने का निर्देश दिया है. इसका उद्देश्य छात्रों को देश की राजनीतिक व्यवस्था से अवगत कराते हुए उनमें नेतृत्व क्षमता विकसित करना है. शहर के सेंट्रल पब्लिक स्कूल के निदेशक मो. आरिफ ने बताया कि वास्तव में छात्रसंघ चुनाव न केवल छात्र राजनीति बल्कि समूची भारतीय राजनीति का एक अनिवार्य तत्व हैं. आज़ादी की लड़ाई में लाला लाजपत राय, भगत सिंह, सुभाषचंद्र बोस, जवाहरलाल नेहरू ने छात्र राजनीति को काफी तवज्जो दी थी. महात्मा गांधी ने 1919 में सत्याग्रह, 1931 में सविनय अवज्ञा और 1942 में जब अंग्रेजों से भारत छोड़ने की बात की तो उनके पास विद्यार्थियों के लिए हमेशा एक राजनीतिक संदेश था. गुजरात विद्यापीठ, काशी विद्यापीठ और जामिया मिलिया इस्लामिया जैसे शिक्षा केंद्र विद्यार्थी आंदोलनों की उपज थे. गांधी के अनुयायियों ने आजाद भारत में विद्यार्थी आंदोलनों पर भरोसा किया.
सीबीएसई से संबद्धता प्राप्त विद्यालयों में बनेंगे निर्वाचन क्लब और लोकतंत्र कक्ष
जयप्रकाश नारायण का आंदोलन इसकी मिसाल है. मंडल आयोग की रिपोर्ट लागू होने और इसके खिलाफ वातावरण बनाने में भी विद्यार्थी आंदोलनों का हाथ था. सीबीएसई बोर्ड से संबद्ध जिले भर के स्कूलों में निर्वाचन क्लब और लोकतंत्र कक्ष बनाए जाएंगे. इसमें आम चुनाव के तर्ज पर उम्मीदवारों के नामांकन दर्ज करने से लेकर उनकी नाम वापसी और उम्मीदवारी तय होने तक की प्रक्रिया बच्चों को सिखाई जाएगी. साथ ही एक साथ चुनाव की गतिविधियों का भी संचालन किया जाएगा. शिक्षकों का भी कहना है कि छात्रों कम उम्र में ही समझाना होगा, वे 18 साल के हो गए हैं और मतदाता भी बन गए हैं, लेकिन मतदान, लोकाचार, परिमाण के बारे में उन्हें बहुत ज्यादा जानकारी नहीं है. कैसे मत देना है, किसे मत देना है और किन बातों का ध्यान रखना है, इसकी जानकारी देनी जरूरी है. यदि उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ने वाला एक विद्यार्थी यह तय नहीं कर सकता कि उसका सही प्रतिनिधि कौन होगा तो उससे यह उम्मीद कैसे की जाए कि वह एक अच्छा नागरिक बन पाएगा और समाज में न्याय, समता और आधुनिक मूल्यों के पक्ष में खड़ा हो पाएगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है