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मतदान के बाद अब चल रहा अटकलों का दौर, जीत हार का अनुमान लगा रहे दलों के समर्थक

जिले में लोकसभा चुनाव के मतदान की प्रक्रिया संपन्न होने के साथ ही जीत हार और प्रत्याशियों को मिलने वाले वोटों को लेकर अटकलों का दौड़ शुरु हो गया है.

समस्तीपुर: जिले में लोकसभा चुनाव के मतदान की प्रक्रिया संपन्न होने के साथ ही जीत हार और प्रत्याशियों को मिलने वाले वोटों को लेकर अटकलों का दौड़ शुरु हो गया है. राजनीतिक ठौर ठिकानों के अलावा मुहल्ले और गांव में भी हर जगह लोग केवल वोटों की आकड़ेबाजी करने में मशगूल हैं. नगर के लोग गांव देहात से आने वाले लोगों से उनके गांव में पड़ने वाले वोटों और किस प्रत्याशी को कितने मत मिल सकते हैं इसका आकड़ा जुटा रहे हैं ताकि आकलन कर हार जीत की शर्त लगा सकें. समर्थकों को अपने अपने प्रत्याशियों को मिलने वाले वोट की हार जीत तक की शर्त लगा रहे हैं. गांव की गलियां और दुकानों में जीत हार की चर्चाएं शुरु है. एक ओर जहां कानून व्यवस्था और राष्ट्रवाद का मुद्दा हावी है. वहीं दूसरी ओर बेरोजगारी और महंगाई समेत जनसमस्याओं के मुद्दे पर भी वोटिंग परसेंटेज को लेकर बहस हो रही है. इसके अलावे क्षेत्रवाद और जातीय समीकरण पर भी बहस जारी है. इस बार लोकसभा चुनाव में जिले के समस्तीपुर और उजियारपुर में उम्मीदवारों के बीच कांटे की टक्कर है. समस्तीपुर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव में खड़े इंडिया गठबंधन और एनडीए उम्मीदवार के साथ जदयू के दो दिग्गज नेताओं के बीच साख की लड़ाई है. यहां जदयू से विधानसभा अध्यक्ष महेश्वर हजारी के पुत्र सन्नी हजारी इंडिया गठबंधन की ओर से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में अपनी किस्मत आजमा दे रहे हैं. वहीं दूसरी ओर जदयू के मंत्री अशोक चौधरी के पुत्री शांभवी एनडीए गठबंधन की ओर से लोजपा चिराग गुट से चुनावी मैदान में विपक्षी उम्मीदवार को कांटे की टक्कर दे रही है. इसी तरह उजियापुर लोकसभा क्षेत्र से एक ओर भाजपा के दिग्गज नेता नित्यानंद राय और दूसरी ओर राजद के स्थानीय विधायक आलोक मेहता चुनावी मैदान में एक दूसरे को ताल ठोक रहे हैं. इसके अलावे चुनाव में खड़े निर्दलीय उम्मीदवारों को भी उम्मीद है. ज्ञातव्य हो कि समस्तीपुर लोकसभा क्षेत्र से कुल 12 और उजियारपुर लोकसभा क्षेत्र से 13 उम्मीदवारों के किस्मत इवीएम में बंद हो चुका है. बहरहाल मतगणना तक बहस और आकड़ेबाजी का दौर जारी रह सकता है. लेकिन, जीत किसका किसका वरण करेगी, यह आगामी चार जून काे मतों की गणना के बाद ही पता चलेगा. तब तक राजनीतिक दलों के समर्थक अपनी गणित गुणा में लगे रहेंगे. साथ ही चुनाव में उतरे प्रत्याशी तथा उनके समर्थक इन दिनों चुनावी थकान उतारने में लगे हुए हैं.

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