शैक्षणिक गतिविधियों पर नजर रखने के लिए टीम गठित

जिले के प्रारंभिक, माध्यमिक, उच्चतर माध्यमिक और कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में अध्ययन अनुश्रवण समिति का गठन किया जायेगा.

By Prabhat Khabar News Desk | November 2, 2024 10:31 PM
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प्रकाश कुमार, समस्तीपुर : जिले के प्रारंभिक, माध्यमिक, उच्चतर माध्यमिक और कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में अध्ययन अनुश्रवण समिति का गठन किया जायेगा. सरकारी स्कूलों में बच्चों की हर गतिविधियों पर अब नजर रखी जायेगी. जिला शिक्षा पदाधिकारी इस समिति के गठन के लिए प्रधानाध्यापक को अधिकृत करेंगे. शिक्षा विभाग ने पत्र में कहा गया है कि समिति के अध्यक्ष एचएम होंगे. इसके अलावा स्कूल के वरीय शिक्षक, वर्ग शिक्षक और कक्षावार माॅनिटर इसके सदस्य होंगे. जिला शिक्षा पदाधिकारी कामेश्वर प्रसाद गुप्ता ने कहा कि अध्ययन अनुश्रवण समिति का मुख्य कार्य होगा कि बच्चों को शुद्ध -शुद्ध लिखने, श्यामपट पर लिखने की कला, गृह कार्य का अनुश्रवण, बच्चों की डायरी का शिक्षक द्वारा अनुश्रवण करना, वर्ग में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले बच्चों से अन्य बच्चों को प्रेरित कराना, टीएलएम का उपयोग, खेलकूद गतिविधियां, ग्लोब, मैप का उपयोग और बच्चों को अच्छी आदतों से अवगत कराना शामिल है. समिति के सदस्यों ने बताया कि चीजों को कक्षा के माॅनिटर को अवगत कराया जायेगा. ये माॅनिटर भी शिक्षकों द्वारा बताई गई चीजों को अन्य बच्चों को बताएंगे. इसके अलावा माॅनिटर का कार्य होगा कि कक्षा में हो रही कठिनाइयों से शिक्षकों को अवगत करायेंगे.

बच्चों में संतुलित क्षमता विकसित करना लक्ष्य

डीपीओ एसएसए मानवेंद्र कुमार राय ने बताया कि एक अच्छी गुणवत्ता वाली शिक्षा वह है, जो सभी शिक्षार्थियों को आर्थिक रूप से उत्पादक बनने, स्थायी आजीविका विकसित करने, शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक समाजों में योगदान देने और व्यक्तिगत कल्याण को बढ़ाने के लिए आवश्यक क्षमता प्रदान करती है. आवश्यक सीखने के परिणाम संदर्भ के अनुसार अलग-अलग होते हैं, लेकिन बुनियादी शिक्षा चक्र के अंत में साक्षरता और संख्यात्मकता, बुनियादी वैज्ञानिक ज्ञान और बीमारी के बारे में जागरूकता और रोकथाम सहित जीवन कौशल के सीमांत स्तर शामिल होने चाहिए. शिक्षकों और अन्य शिक्षा हितधारकों की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए क्षमता विकास इस पूरी प्रक्रिया में महत्वपूर्ण है. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा छात्रों को प्राथमिकता देती है और उन्हें केवल परीक्षाओं के लिए नहीं, बल्कि जीवन के लिए तैयार करती है. छात्र की जाति, जातीयता, सामाजिक-आर्थिक स्थिति, लिंग और क्षेत्र की तुलना में छात्र के मनोवैज्ञानिक, शारीरिक, बौद्धिक और संज्ञानात्मक विकास को ध्यान में रखा जाना चाहिए.

स्कूली बच्चों पर होगी विद्यालय के मॉनिटर की निगरानी

कक्षा में शिक्षक की अनुपस्थिति पर व्यवस्था को देखने की जिम्मेदारी मॉनिटर की होती है. यह व्यवस्था लंबे समय से चल रही है. लेकिन इधर, कुछ वर्षों से आधुनिकता के दौर में यह लगभग विलुप्त सा हो गया था. जिसके कारण शिक्षक की मौजूदगी में तो बच्चे अनुशासित रहते थे लेकिन उनकी गैरहाजिरी में अनुशासनहीनता की खुली छूट रहती थी. शिक्षा विभाग ने इस व्यवस्था को और अधिक सुदृढ़ करने की कवायद शुरू कर दी है. नई पहल में लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत कक्षा के बच्चे अपने मॉनिटर का चुनाव करेंगे. प्रत्येक सप्ताह शिक्षकों के साथ सभी कक्षा के मॉनिटरों की बैठक भी होगी जिसमें शिक्षक बच्चों की गतिविधियों की जानकारी हासिल करेंगे. इस व्यवस्था के तहत प्रारंभिक विद्यालय से लेकर उच्च विद्यालय तक मॉनिटर का चुनाव होगा. इसके साथ-साथ शिक्षा विभाग द्वारा बाल संसद को और अधिक सशक्त बनाने का भी निर्देश जारी हुआ है. जिसके तहत प्रधानमंत्री समेत अन्य मंत्रियों का चुनाव नियमित रूप से होगा. बाल संसद की बैठक भी साप्ताहिक होगी. बैठक के दौरान विद्यालय की व्यवस्था से लेकर साफ-सफाई तथा उन सामाजिक गतिविधियों पर भी चर्चा होगी. जिसके द्वारा जन जागरूकता लाने में बच्चों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है. शिक्षा विभाग के इस निर्देश के अनुरूप जल्द ही नए सिरे से व्यवस्था प्रारंभ हो जायेगी. जिला शिक्षा पदाधिकारी ने बताया कि विभाग के निर्देश के अनुरूप सभी कार्य किए जायेंगे. मॉनिटर की व्यवस्था होने से बच्चों के बीच अनुशासन का भाव विकसित होगा. उन्होंने कहा कि हालांकि यह व्यवस्था कोई नई नही है. लेकिन, इसे और अधिक सुदृढ़ करने की कवायद की जा रही है.

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