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गेहूं की बोआई के लिए तापमान अनुकूल

डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के द्वारा किसानों के लिए जारी समसामयिक सुझाव के मुताबिक किसान रबी मक्का की बोआई नवंबर के अंत तक समाप्त करें.

By Prabhat Khabar News Desk | November 24, 2024 10:58 PM
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समस्तीपुर : डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के द्वारा किसानों के लिए जारी समसामयिक सुझाव के मुताबिक किसान रबी मक्का की बोआई नवंबर के अंत तक समाप्त करें. इसके लिए संकर किस्में शक्तिमान-1 सफेद, शक्तिमान-2 सफेद, शक्तिमान-3 पीला, शक्तिमान-4 पीला, शक्तिमान-5 पीला, गंगा-11 नारंगी पीला, राजेन्द्र संकर मक्का-1, राजेन्द्र संकर मक्का-2, राजेन्द्र संकर मक्का दीप ज्वाला तथा संकुल किस्में-देवकी सफेद, लक्ष्मी सफेद व सुआन पीला इस क्षेत्र के लिए अनुशंसित है. खेत की जुताई में 100-150 क्विंटल कम्पोस्ट, 60 किलोग्राम नेत्रजन, 75 किलोग्राम फॉस्फोरस तथा 50 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से व्यवहार करें. बीज दर 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर व दूरी 60 गुणा 20 सेमी रखें. आगात बोयी गयी मक्का की फसल में आवश्यकतानुसार सिंचाई करें. गेहूं की बोआई के लिए तापमान व अन्य मौसमीय परिस्थितियां अनुकूल है. किसान प्राथमिकता देकर गेहूं की बोआई करें. खेत की तैयारी के समय 150-200 क्विंटल कम्पोस्ट, 60 किलोग्राम नेत्रजन, 60 किलोग्राम फॉस्फोरस तथा 40 किलोग्राम पाेटाश प्रति हेक्टेयर की दर से व्यवहार करें. बोआई के लिए एचडी-2967, एचडी-2733, एचडी-2824, डीडब्लू- 187, डीडब्लू-39, एचयूडब्लू -468, सीडब्लू-38 किस्में उत्तर बिहार के लिए अनुशंसित है. बीज को बोआई से पहले बेबीस्टीन-2.5 ग्राम की दर से प्रति किलोग्राम बीज को उपचारित करें. दीमक से बचाव के लिए क्लोरपायरीफॉस 20 इसी दवा का 8 मिली प्रति किलोग्राम बीज की दर से अवश्य उपचारित करें. छिटकवां विधि से बोआई के लिए प्रति हेक्टयेर-125 किलोग्राम तथा सीड ड्रील से पंक्ति में बोआई के लिए 100 किलोग्राम बीज का व्यवहार करें. अक्टूबर माह में बोई गयी लहसुन की फसल से खर-पतवार की निकासी कर हल्की सिंचाई कम अवधि के अंतराल में नियमित रूप से करें. फसल में कीट की निगरानी करें. आलू की रोपाई प्राथमिकता देकर पूरा करें. कुफरी चन्द्रमुखी, कुफरी अशोका, कुफरी बादशाह, कुफरी ज्याेति, कुफरी सिंदुरी, कुफरी अरुण, राजेन्द्र आलू-1, राजेन्द्र आलू- 2 तथा राजेन्द्र आलू-3 इस क्षेत्र के लिए अनुशंसित किस्में हैं. बीज दर 20-25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर रखें. पंक्ति से पंक्ति की दूरी 50-60 सेमी एवं बीज से बीज की दूरी 15-20 सेमी रखें. आलू को काटकर लगाने पर 2 से 3 स्वस्थ आंख वाले टुकड़े को उपचारित कर 24 घंटे के अन्दर लगाएं. बीज को एगलॉल या एमीसान के 0.5 प्रतिशत घोल या डाइथेन एम- 45 के 0.2 प्रतिशत घोल में 10 मिनट तक उपचारित कर छाया में सूखाकर रोपनी करें. समूचा आलू (20-40 ग्राम) लगाना श्रेष्ठकर है. खेत की जुताई में कम्पोस्ट 200-250 क्विंटल, 75 किलोग्राम नेत्रजन, 90 किलोग्राम फॉस्फोरस एवं 100 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करें.

किसान रबी मक्का की बोआई नवंबर के अंत तक करें संपन्न

चना की बोआई के लिए उपयुक्त समय चल रहा है. खेत की तैयारी के समय 20 किलोग्राम नेत्रजन, 45 किलोग्राम फॉस्फोरस, 20 किलोग्राम पोटाश तथा 20 किलोग्राम सल्फर प्रति हेक्टेयर की दर से व्यवहार करें. चना के लिए उन्नत किस्म पूसा-256, केपीजी-59(उदय), केडब्लूआर-108, पंत जी-186 तथा पूसा-372 अनुशंसित है. बीज को बाविस्टीन 2.5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें. 24 घंटा बाद उपचारित बीज को कजरा पिल्लू से बचाव के लिए क्लोरपाईरीफॉस 8 मिली प्रति किलोग्राम की दर से मिलावें. पुन: 4 से 5 घंटे छाया में रखने के बाद राईजोबियम कल्चर (पांच पैकेट प्रति हेक्टेयर) से उपचारित कर बोआई करें. छोटे दानों की किस्मों के लिए बीज दर 75 से 80 किलोग्राम एवं बड़े दानों के लिए 100 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तथा दूरी 30 गुणा 10 सेमी रखें.

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