आम के पेड़ में मंजर देख बागवानों की लौट आयी मुस्कान
सब दिन होत न एक समान. कुछ वर्षों से आम के पेड़ों में मंजर नहीं आने से निराश बागवान के चेहरों पर लौट आयी है मुस्कान.
विद्यापतिनगर : सब दिन होत न एक समान. कुछ वर्षों से आम के पेड़ों में मंजर नहीं आने से निराश बागवान के चेहरों पर लौट आयी है मुस्कान. शायद इनके अच्छे दिन आने के संकेत मिलने लगे हैं. बागवानों पर इस वर्ष मौसम मेहरवान बना है. आम के पेड़ों में भरपूर मंजर आ रहा है. इससे किसान बागवान के घर खुशियों की लहर छायी है. बगीचों में ऋतुराज वसंत नया जीवन लेकर आया है. फसलों के लिए अनुकूल मौसम से किसानों के घर राग रंग और उत्सव देखा जा रहा है. खेत लहलहाते मक्का गेहूं से आनंद के भाव बिखेर रहे हैं. तो कहीं खेत सरसों के फूलों से भरपूर पीले दिखाई पड़ रहे हैं. वहीं नये पत्तों से सजे आम के पेड़ों में भरपूर मंजर आ रहे हैं. इससे खेत खलिहान आर्थिक समृद्धि को बयां करने लगे हैं. फलस्वरूप गांव कस्बों में किसानों के घर शहनाई बजने के आसार अधिक हो रहे हैं. प्रखंड के दक्षिण वर्त्ती अधिकतर खेती वाले भू भाग में पर्यावरण संरक्षण, पौधरोपण पर सरकारी सहायता के कारण फलदार पौधे लगाये गये हैं. ऐसे पूर्व के वर्षों से ही आम की पैदावार के लिए यह क्षेत्र मशहूर रहा है. जहां वैसा गाछी का आम पड़ोसी देश सहित कई राज्यों में अपनी अमित छाप के लिए जाना जाता है. विगत कई वर्षों से आम की फसल से बागवान निराश हो चले थे. इस वर्ष भरपूर मंजर आते देख आशा की नई किरण बनी है. प्रखंड में अनुमान के तहत सोलह सौ एकड़ भूमि में बगीचा बागवानी की खेती है. जो अन्य फसलों से लाभदायक कहा जाता है. आम के व्यवसाय से ही हजारों किसान अपने रोजमर्रा की जरूरतों सहित धार्मिक,सामाजिक,वैवाहिक कार्यों को सफलता पूर्वक सम्पन्न करते रहे हैं. यहां आम की विभिन्न जातियां सूबे सहित अन्य राज्यों में शुमार है. इनमें लंगड़ा, तोतापरी, हिमसागर, किशन भोग, गुलाबखास, बम्बबैया, फजली सहित कई खास हैं.
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