समस्तीपुर : जिले के सरकारी विद्यालयों में विभिन्न सप्लाई एजेंसियों के माध्यम से उपलब्ध कराये गये बेंच-डेस्क की गुणवत्ता की जांच करायी जा रही है. जांच के दरम्यान अधिकांश प्राथमिक, मध्य, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों के बेंच-डेस्क की गुणवत्ता सही नहीं पाया गया. काफी संख्या में बेंच-डेस्क की लकड़ी टूटी-फूटी, मुड़ी एवं फटी हुई लकड़ी की पटरियां जांच अधिकारियों को मिली है. कई बेंच का फ्रेम सही नहीं पाया गया. कई बेंच की प्लाईवुड घटिया क्वालिटी का पाया गया है. महज एक महीने के भीतर कई विद्यालयों के बेंच छात्र-छात्राओं के बैठने लायक नहीं रहा गया है. शिक्षा विभाग की तरफ से जांच समिति के सदस्यों ने नाम नहीं छापने के शर्त पर बताया कि बेंच-डेस्क खरीदारी के नाम जमकर लूटखसोट हुआ है. तीन फेज में विभिन्न स्तर के करीब 1300 से अधिक विद्यालयों को करीब 25 करोड़ रुपये बेंच-डेस्क क्रय के लिए आवंटित किये गये. एजेंसियों ने बेंच-डेस्क उपलब्ध कराने के समय गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखा है. विभिन्न प्रखंडों के विद्यालयों की जांच की गई है. जांच के दरम्यान कई गड़बड़ियों का उजागर हुआ है. शिक्षा विभाग की तरफ से जो फॉर्मेट उपलब्ध कराया गया था, उस फॉर्मेंट में सारा रिपोर्ट जिला शिक्षा कार्यालय को दिया जा रहा है. कई एचएम ने असंतोषजनक टिप्पणी भी की है. कुछेक एचएम ने बताया कि पांच हजार रुपए की दर से भुगतान करने वाले बेंच-डेस्क बनाने के लिए शिक्षा विभाग ने शीशम की लकड़ी का फ्रेम एवं आम की लकड़ी का पटरा लगाने का निर्देश दिया है. वहीं तीन हजार रुपए दर वाले बेंच डेस्क को बनाने के लिए 16 गेज के लोहे का फ्रेम का चौकोर बनाना है. इसमें सवा इंच का आम की लकड़ी का पटरा होना चाहिए. लेकिन खरीददारी में ना शीशम और आम की लकड़ी का इस्तेमाल किया गया है. ना मोटाई एवं चौड़ाई का ख्याल रखा गया. पतली फ्रेम पर ही प्लाई लगाकर बेंच डेस्क बनाकर राशि का भुगतान कर लिया गया है. कच्ची लकड़ी से भी बेंच-डेस्क बनाया गया है लकड़ी सूखने के बाद बेंच डेस्क में दरार आ गया है. वही बेंच-डेस्क की कुछ शिकायत शिक्षा विभाग के कमान एंड कंट्रोल सेंटर के टोल फ्री नंबर 14417 पर भी किया गया है. मालूम हो कि जिले के अधिकांश स्कूलों में लंबे अरसे से बेंच-डेस्क की कमी से परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था लेकिन जिस तरह से बेंच-डेस्क क्रय किया गया है वह जिला शिक्षा विभाग द्वारा की गयी माॅनिटरिंग पर सवाल खड़े कर रहे हैं. वहीं जिला शिक्षा कार्यालय के दबाव पर गुणवत्ता का सर्टिफिकेट भी एचएम द्वारा दे दिया गया है. “जहां पर बेंच-डेस्क खराब है, लकड़ी सूख जाने के बाद फट गई है अथवा मुड़ गई है तथा गुणवत्ताहीन है, उस विद्यालय के चयनित एजेंसी बेंच-डेस्क की मरम्मत करायेंगे. प्रत्येक एजेंसी को कार्य देने से पहले शपथ-पत्र लिया गया है. शिक्षा विभाग उन पर कानूनी कार्रवाई भी कर सकता है. नरेंद्र कुमार सिंह प्रभारी डीईओ, समस्तीपुर ”
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