समस्तीपुर : विशेषताएं बहुत हैं इस वोट के लोकतंत्र में, वोट झपटने के इस करामाती मंत्र में. हर पांच साल में हम ऊंगली रंगते रह जाते हैं और एक नया फकीर फिर शहंशाह बन जाता है. कुछ ऐसी कविताओं से गूंजता रहा. केन्द्रीय विद्यालय समस्तीपुर के निकट स्थित कुसुम सदन कर प्रांगण. मौका था कुसुम पाण्डेय स्मृति साहित्य संस्थान के तत्वावधान में आयोजित कवि सम्मेलन का. आगत रचनाकारों का स्वागत डॉ. रामेश गौरीश ने किया. कार्यक्रम की अध्यक्षता हिन्दी तथा मैथिली साहित्य के सुप्रसिद्ध रचनाकार डॉ. नरेश कुमार विकल ने की. संचालन प्रवीण कुमार चुन्नू और राज कुमार राय राजेश कर रहे थे. रेल के पूर्व राजभाषा अधिकारी भुवनेश्वर मिश्र विशिष्ट अतिथि के रूप में विराजमान रहे. कार्यक्रम के प्रारंभ में संस्था के अध्यक्ष शिवेंद्र कुमार पाण्डेय ने मई महीने में उत्पन्न हिन्दी साहित्य के आधार स्तंभ डॉ. केदारनाथ लाभ, डॉ. डीआर ब्रह्मचारी, डॉ. सुरेन्द्र प्रसाद,लक्ष्मण शाहाबादी, सुमित्रानंदन पंत,शरद जोशी, गुरु देव रविन्द्रनाथ ठाकुर, कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर,जिंदा कृष्ण मूर्ति के कृतित्व तथा व्यक्तित्व पर चर्चा करते हुए उनके प्रति भावभीनी श्रद्धा सुमन अर्पित की. प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर का स्मरण कराती रचनाएं,भजन गजल, हास्य व्यंग के साथ ही भोजपुरी, मैथिली की रचनाएं मुख्य रूप से आकर्षण के केंद्र रहीं. कार्यक्रम का प्रारंभ राज कुमार चौधरी के चित्ताकर्षक मां सरस्वती की आराधना से की गयी. राज कुमार राय राजेश, रामाश्रय राय राकेश, राज कुमार चौधरी ,काविश जमाली , प्रवीण कुमार चुन्नू ,शिवेंद्र कुमार पाण्डेय , रामलखन यादव ,शुभम कुमार ,भुवनेश्वर मिश्र , डॉ. राम सूरत प्रियदर्शी, विष्णु कुमार केडिया, दीपक कुमार श्रीवास्तव , डॉ. अशोक कुमार सिन्हा, डॉ. नरेश कुमार विकल, पप्पू राय दानिश, आफ़ताब समस्तीपुरी, ,मो. जावेद, दिनेश प्रसाद, अमलेन्दु कुमार त्रियार, सौम्य कुमार विभु, नरेंद्र कुमार सिंह त्यागी ,स्मृति झा, ई. सच्चिदानंद सिंह, अरुण कुमार सिंह मालपुरी आदि की रचनाएं खूब पसंद की गयी. कार्यक्रम के मध्य में इस संस्थान के आधार स्तम्भ दिनेश प्रसाद को प्रशस्ति पत्र चादर पाग माला पुस्तक आदि से सम्मानित किया गया. समापन शैलजा कनिष्ठा द्वारा धन्यवाद ज्ञापन से हुआ.
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