पूसा : डा राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय स्थित पोषक अनाज एवं मूल्य शृंखला उत्कृष्टता केंद्र के सभागार में कृषक उत्पादक संगठनों के माध्यम से श्री अन्न का मूल्य संवर्धन एवं विपणन विषय पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण शुरू हुई. अध्यक्षता करते हुए सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ उषा सिंह ने कहा कि जलवायु परिवर्तन की दौर में बिहार के किसानों को संगठित होकर मिलेट्स फसलों का खेती करने की जरूरत है. जिससे इस युग के प्रतियोगी बाजारों में अपने उत्पाद को अच्छी आमदनी के साथ बेचा जा सके. बिहार राज्य के ग्रामीण महिलाएं बेहद हुनरमंद है. मिलेट्स का उत्पादन से लेकर प्रसंस्करण एवं बाजार में बेचने की कला से किसान स्वयं निपुण है. मौसम की मार से प्रभावित किसानों का झुकाव श्री अन्न की खेती तरफ हुआ है. किसानों को योजनाबद्ध तरीके और वैज्ञानिकी विधि को अपनाते हुए इस विधा को व्यवसायिक रूप देने की आवश्यकता है. जिससे किसानों की आमदनी में वृद्धि संभव हो सके. राज्य के अलग-अलग क्षेत्रों में समूह से जुड़ कर श्री अन्न की खेती लाभकारी होता है. मूल्य शृंखला में उत्पादों का गुणवत्ता की विधिवत पहचान करने की दिशा में भी पहले जरूरी है. मिलेट्स से तैयार उत्पादों में पोषक तत्वों की अलग-अलग पहचान जरूरी है. प्रशिक्षण का विषय प्रवेश एवं स्वागत भाषण करते हुए वैज्ञानिक सह परियोजना के मुख्य अन्वेषिका डा श्वेता मिश्रा ने कहा कि मिलेट्स उत्पादन के क्षेत्र में गुणवतापूर्ण उत्पादों का निर्माण करने की जरूरत है. राज्यस्तरीय, राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय बाजारों में मिलेट्स के उत्पादों का निर्यात करने के लिए प्रमाणिकता की आवश्यकता होती है. श्री अन्न से बना हुआ विभिन्न उत्पादों के अंदर पाये जाने वाले कंटेंट के बारे में भी अनिवार्य रूप से प्रमाणीकरण कराने की जरूरत होती है. श्री अन्न के बीज निर्माण के क्षेत्र में भी कार्य करने पर किसान बेहतर आमदनी प्राप्त कर सकता है. वैज्ञानिक डा पुष्पा सिंह ने कहा कि उत्पादन के बाद उत्पादों का मुख्य संवर्धन कर अच्छी आय की प्राप्ति संभव है. संचालन वैज्ञानिक सह कोर्स कॉर्डिनेटर डा ऋतंभरा सिंह ने किया. धन्यवाद ज्ञापन कौशल किशोर सिंह ने किया. मौके पर डॉ मिथिलेश कुमार आदि मौजूद थे.
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