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बीपीएससी से बहाल राज्य के बाहर के महिला शिक्षकों की नौकरी पर लटकी तलवार

बीपीएससी की ओर से बहाल किये गये राज्य के बाहर की महिला शिक्षकों की नौकरी पर तलवार लटक गई है. चिन्हित करने के लिए शैक्षणिक व प्रशैक्षणिक प्रमाण पत्रों की जांच शुरू कर दी गयी है.

समस्तीपुर : बीपीएससी की ओर से बहाल किये गये राज्य के बाहर की महिला शिक्षकों की नौकरी पर तलवार लटक गई है. चिन्हित करने के लिए शैक्षणिक व प्रशैक्षणिक प्रमाण पत्रों की जांच शुरू कर दी गयी है. महिला शिक्षकों पर सीटीइटी में बिहार की महिलाओं को मिलने वाले पांच प्रतिशत छूट का लाभ लेने की बात सामने आयी है. डीईओ कामेश्वर प्रसाद गुप्ता इन्हें अपात्र बताते हुए इनकी नौकरी निरस्त करने से पहले पक्ष रखने का मौका देंगे. डीईओ ने बताया कि पटना हाई कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा है कि राज्य के मूलनिवासी ही बिहार अधिनियम 3/1992 के अधीन आरक्षण का लाभ ले सकते हैं. इसी के तहत राज्य के बाहर के अभ्यर्थियों को पात्रता परीक्षा में उत्तीर्णांक में पांच प्रतिशत की छूट नहीं मिलेगी. ऐसे में वैसे सभी अभ्यर्थियों की उम्मीदवारी निरस्त होगी, जिनका टीईटी में प्राप्तांक 60 फीसदी से कम होगा. जिले में चिन्हित करने की प्रक्रिया जारी है. बात भले की कड़वी है, लेकिन सच्चाई है और यह खबर निश्चित तौर पर दूसरे राज्यों की शिक्षिकाओं के होश उड़ाने वाली है. माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने सीटीइटी से संबंधित विभिन्न प्रावधानों की समीक्षा की. आवेदिका यूपी की है. उन्होंने पाया कि सीबीएसई द्वारा सीटीइटी को निर्गत अधिसूचना में स्पष्ट किया गया है कि सामान्य श्रेणी के अभ्यर्थियों को 60 फीसदी या उससे अधिक अंक प्राप्त करने पर उन्हें योग्य घोषित किया जायेगा. यही निर्देश महिला अभ्यर्थियों के लिए भी है. अधिसूचना में इसका भी जिक्र है कि स्कूल प्रबंधन राज्य सरकार के आरक्षण नीति तहत अनुसूचित जाति/जनजाति और पिछड़ा वर्ग को छूट दे सकेगी. सुनवाई के बाद जारी आदेश में निदेशक ने कहा है कि बिहार में महिलाओं को शिक्षक नियुक्ति में 50 फीसदी आरक्षण देय है. इसी के तहत राज्य सरकार ने पिछड़ा वर्ग, अत्यंत पिछड़ा वर्ग और सामान्य कोटि की महिला अभ्यर्थियों को शिक्षक पात्रता परीक्षा में न्यूनतम 55 फीसदी अंक, जबकि अनुसूचित जाति/जनजाति के साथ निशक्त कोटि के लिए न्यूनतम 50 प्रतिशत अंक निर्धारित किया है. जारी आदेश में माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने कहा है कि सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा प्रावधानित है कि राज्य के मूल निवासी ही बिहार अधिनियम 3, 1992 के अधीन राज्य में आरक्षण का लाभ प्राप्त कर सकते हैं. राज्य के बाहर के निवासी को यह लाभ देय नहीं है. आवेदिका राज्य के बाहर की निवासी है और सामान्य श्रेणी के तहत आती हैं, जिस कारण उन्हें बिहार राज्य के अंतर्गत आरक्षण का लाभ देय नहीं होगा. इस परिपेक्ष्य में ही बिहार राज्य के बाहर के महिला अभ्यर्थियों को शिक्षक पात्रता परीक्षा में भी सफल होने के लिए पांच प्रतिशत का छूट देय नहीं होगा. यानी आवेदिका बिहार राज्य में पात्रता परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं मानी जा सकती है. इस तरह निदेशक ने आवेदिका के दावे को अस्वीकृत कर दिया.

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