यूजीसी ने पीजी कोर्स को लेकर जारी किया नया कॅरिकुलम

अब ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के छात्र अब एक बार में दो विषयों से पीजी कर सकेंगे. छात्र एक रेगुलर कोर्स के साथ एक ऑनलाइन कोर्स कर सकेंगे.

By Prabhat Khabar News Desk | June 19, 2024 11:45 PM

समस्तीपुर : अब ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के छात्र अब एक बार में दो विषयों से पीजी कर सकेंगे. छात्र एक रेगुलर कोर्स के साथ एक ऑनलाइन कोर्स कर सकेंगे. यूजीसी ने पीजी कोर्स के लिए नया कॅरिकुलम जारी किया है. इसके तहत छात्रों को यह सुविधा जल्द ही मिलने की उम्मीद है. पीजी कोर्स के लिए यूजीसी ने छात्रों को एक वर्ष के बाद विषय बदलने की भी सहूलियत दी है. स्नातक पास छात्र अपने ऑनर्स विषय को छोड़कर सब्सिडियरी से भी पीजी कर सकते हैं. यूजीसी ने कहा है कि नयी शिक्षा नीति में छात्रों को विषय चुनने का अधिकार है, इसी के तहत यह बदलाव किया गया है. यूजीसी ने नये कॅरिकुलम की अधिसूचना कुलपतियों को भेजी है. यूजीसी ने इंटीग्रेटेड पीजी कार्यक्रम भी नये कॅरिकुलम में चालू किया है. इसके तहत छात्रों को यूजी और पीजी में विश्लेषण, कौशल विकास, जीवन की वास्तविक समस्याओं और शोध कार्य के बारे में जानकारी दी जायेगी. दो वर्ष के पीजी में छात्रों को पीएचडी की तरह कोर्स वर्क करना होगा. यह कोर्स वर्क तीसरे और चौथे सेमेस्टर में होगा. वीकेएसयू के परीक्षा नियंत्रक ने बताया कि यूजीसी ने पीजी के नये कॅरिकुलम में पीजी में क्रेडिट सिस्टम को भी बताया है. दो वर्ष की पीजी 260 क्रेडिट प्वाइंट की होगी. पीजी डिप्लोमा 240 क्रेडिट प्वाइंट और चार वर्ष के स्नातक के बाद एक वर्ष की पीजी 260 क्रेडिट प्वाइंट की होगी. तीन वर्ष के स्नातक के बाद दो वर्ष की पीजी 260 क्रेडिट प्वाइंट की होगी. पीजी में छात्रों को रिसर्च प्रोजेक्ट, रिसर्च मेथेडोलॉजी, साफ्टवेयर प्रशिक्षण, सेमिनार आधारिक कोर्स, टर्म पेपर की पढ़ाई कराई जायेगी. इसके अलावा उन्हें इंटर्नशिप भी कराई जायेगी. वहीं अब नई शिक्षा नीति के तहत यूजीसी ने स्नातक के बाद अब पीजी के कोर्स में भी बदलाव कर दिया है. पीजी में दाखिला कैसे होगा. इसके तहत छात्र किस तरह के कोर्स कर सकेंगे, इसका खाका तैयार कर उच्चतर शिक्षण संस्थानों को अमल में लाने को कहा गया है. नई व्यवस्था के तहत अब पीजी में नामांकन के लिए विवि एंट्रेंस टेस्ट भी लेगा. हालांकि, यह अनिवार्य नहीं होगा और विवि अपने स्तर से नामांकन की प्रक्रिया तय कर सकेंगे, जिसमें उन्हें छूट रहेगी कि वे छात्र के स्नातक के परफॉर्मेंस के आधार पर भी पीजी में नामांकन लेंगे. लेकिन यह अभी चल रहे अंक के आधार पर नामांकन की व्यवस्था से अलग होगा जिसमें विवि यह तय करेंगे कि स्नातक पास किस छात्र को पीजी के एक वर्षीय कोर्स में दाखिला लिया जाए और किसका दो वर्षीय कोर्स में. पीजी में तीन तरह के कोर्स होंगे और विवि अपनी व्यवस्था के तहत इसे लागू कर सकेंगे. इसमें एक वर्षीय, दो वर्षीय पीजी और इंटीग्रेटेड कोर्स के रूप में पांच वर्षीय पीजी भी शामिल हैं. चूंकि चार वर्षीय स्नातक कोर्स में ऑनर्स और रिसर्च के साथ ऑनर्स, कार्य अनुभव पर क्रेडिट, एआई, मशीन लर्निंग शामिल किया गया है. इसलिए पीजी के कोर्स को इसी आधार पर तैयार किया गया है. यह सिस्टम सूबे के विश्वविद्यालयों में भी लागू होगा. विश्वविद्यालय नए सत्र से नये सिस्टम के तहत पीजी में नामांकन लेंगे. सेमेस्टर सिस्टम के साथ क्रेडिट और रिसर्च पर जोर दिया गया है. पीजी के एक वर्षीय कोर्स में वैसे छात्रों का दाखिला होगा जिन्हें स्नातक में ऑनर्स मिला है या रिसर्च के साथ ऑनर्स है और 160 क्रेडिट प्राप्त है. दो वर्षीय कोर्स में वैसे छात्रों का नामांकन होगा, जिन्होंने चार वर्षीय स्नातक कोर्स के तीन वर्ष का कोर्स (बिना रिसर्च) 120 क्रेडिट के साथ पूरा किया है जबकि चार वर्षीय स्नातक कोर्स बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग या बीटेक के रूप में करने पर एमई या एमटेक में दाखिला मिलेगा.

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