Samastipur-Vibhutipur News, Vibhutipur BPSC fake teacher case: When will the investigation of 23 teachers be completed? जांच टीम के पदाधिकारी वरीय उप समाहर्ता ने 23 शिक्षकों को चिन्हित करते हुए जिला शिक्षा विभाग से विभिन्न बिन्दुओं पर रिपोर्ट तलब की थी
Samastipur-Vibhutipur News: समस्तीपुर : जिला शिक्षा विभाग में इन दिनों जांच का दौर चल रहा है. जिला शिक्षा कार्यालय में जिधर सुनो सिर्फ जांच, शो-कॉज व बीईओ पर गठित प्रपत्र क की चर्चा होती है. पर उसके नतीजे आजतक किसी को मालूम नहीं. विभूतिपुर प्रखंड अंतर्गत बीपीएससी शिक्षक भर्ती में हुए गड़बड़ी का मामला सामने आने के बाद तत्कालीन डीएम सह वर्तमान निदेशक माध्यमिक शिक्षा योगेन्द्र सिंह ने मामले की गंभीरता को लेते हुए पूरे मामले की जांच के लिए वरीय उप समाहर्ता (आपदा प्रबंधन) राजेश कुमार के नेतृत्व में चार सदस्यीय कमेटी का गठन किया. जांच-पड़ताल का धीरे- धीरे दायरा बढ़ता गया. इस दौरान कार्रवाई भी की गयी और विभूतिपुर बीईओ के विरुद्ध प्रपत्र क गठित कर विभागीय कार्रवाई की अनुशंसा भी गयी. इधर, जांच टीम के पदाधिकारी वरीय उप समाहर्ता ने 23 शिक्षकों को चिन्हित करते हुए जिला शिक्षा विभाग से विभिन्न बिन्दुओं पर रिपोर्ट तलब की. ताकि ठोस अग्रेतर कार्रवाई की जा सके. लेकिन जिला शिक्षा विभाग द्वारा अबतक जांच रिपोर्ट नहीं सौंपी गयी है. जिस वजह से जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई में विलंब हो रही है. यह जांच कब तक होगी, यह शिक्षा विभाग के विभागीय अधिकारी बताने से कतरा रहे हैं. वहीं विभूतिपुर बीईओ पर भी कार्रवाई की प्रक्रिया मुख्यालय स्तर पर लंबित है. जब शिक्षकों की भर्ती की बात शुरू हुई तो शिक्षा विभाग ने बीपीएससी को शिक्षक भर्ती परीक्षा का जिम्मा सौंपा था. बीपीएससी को परीक्षा फॉर्म भराने से लेकर रिजल्ट जारी करने तक का जिम्मा था, लेकिन शिक्षा विभाग ने बीपीएससी को केवल फॉर्म भरने और परीक्षा की ही जिम्मेदारी दी.Samastipur-Vibhutipur News, Vibhutipur BPSC fake teacher case: When will the investigation of 23 teachers be completed?आयोग ने ऑनलाइन आवेदन लिया और फॉर्म का वेरिफिकेशन कराने के बाद परीक्षा कराई.
आयोग ने ऑनलाइन आवेदन लिया और फॉर्म का वेरिफिकेशन कराने के बाद परीक्षा कराई. परीक्षा के परिणाम के आधार पर मेरिट तो बनाई, लेकिन शिक्षक अभ्यर्थियों का वेरिफिकेशन नहीं कराया, क्योंकि यह काम शिक्षा विभाग ने अपने जिम्मे ले लिया. यहीं से आयोग और शिक्षा विभाग के बीच गैप बन गया. इस गैप को फर्जी शिक्षक भर्ती माफिया ने भांपते हुए अपना काम निकालने में सफल रहे. परीक्षा के दौरान थंब इंप्रेशन बीपीएससी ने लिया और वेरिफिकेशन शिक्षा विभाग ने कराया. शिक्षा विभाग ने डाॅक्यूमेंट वेरिफिकेशन कराया. इसमें आधार और अन्य अभिलेखों की जांच कराई. ऐसे माफिया अपनी मंशा में कामयाब हो गये और पूरा खेल हो गया. इधर, कुछ अभ्यर्थियों ने सिस्टम पर सवाल खड़े किये और पूछा, डॉक्यूमेंट्स वेरिफिकेशन अच्छे से क्यों नहीं हुआ? बायोमेट्रिक की जांच क्यों नहीं की गई? फर्जी शिक्षक टीआरई 1 और टीआरई 2 में कैसे बहाल हो गए? अगर निष्पक्ष जांच हो जाए तो बड़े घोटाले की पोल खुल जायेगी. दर्जनों की संख्या में फर्जी कैंडिडेट्स बेनकाब हो जायेंगे जो गलत प्रमाण-पत्र देकर टीचर बन गये हैं.
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