सूख रहे जल स्रोत, गाद से भरा बया नदी बना नाला

भूजल स्तर में निरंतर गिरावट के साथ नदी के जल भराव वाला दृश्य विलुप्त होता जा रहा है. नदी में गाद भरने से इसका स्वरूप जगह-जगह नाला जैसा बन गया है.

By Prabhat Khabar News Desk | June 11, 2024 11:54 PM

विद्यापतिनगर : भूजल स्तर में निरंतर गिरावट के साथ नदी के जल भराव वाला दृश्य विलुप्त होता जा रहा है. नदी में गाद भरने से इसका स्वरूप जगह-जगह नाला जैसा बन गया है. इससे नदी के समतल भू भाग में होने वाली खेती प्रभावित होने लगी है. ऐसे भू भाग में होने वाली खेती में पटवन नदी के जल से होता आया है. प्रखंड क्षेत्र से गुजरने वाली वाया नदी पौराणिक धार्मिक महत्व के साथ कृषि के क्षेत्र में जीवन दायनीय तुल्य करार दी जाती रही है. इस वर्ष भीषण गर्मी व नदी में गाद एवं मिट्टी भर जाने से इसकी गहराई कम हो गयी है. इससे बाढ़ या पूर्व वर्षा का जल का जमाव नहीं हो पाया है. बाया नदी में पानी का संग्रह नहीं होने से इसके आसपास हजारों हेक्टेयर भूमि में होने वाली खरीफ की फसल के प्रभावित होने की शंका किसानों के लिए चिता का विषय बना है. वाया नदी से क्षेत्र के चतरा, बढ़ौना, हरपुर बोचहा, खनुआ, बाजितपुर, मड़वा, मऊ, शेरपुर सहित दर्जनों गांव के नदी किनारे की खेती वाली भूमि में सिंचाई नदी के जल से की जाती है. गाद भरने से नदी में जल का संग्रह काफी कम हो गया है. अधिकांश जगहों पर नदी का स्वरूप नाला के जैसा है जो किसानों के लिए चिंता का विषय बना है.

उठ रही नदी उड़ाही की मांग

बाया नदी में गाद भरने व जल संचय कम होने से लोगों में चिंता की लकीरें खींच गयी है. धार्मिक व पौराणिक मान्यताओं को गति देने वाले लोगों के साथ किसान भी इस नदी के उड़ाही की मांग करने लगे हैं. ऐसे लोगों का मानना है कि नदी की तलहटी से गाद व मिट्टी निकल नदी की गहराई को बरकरार रखना आवश्यक है. वरना नदी के विलुप्त होने का खतरा मंडराने लगा है. वहीं हर वर्ष बाढ़ की आशंका भय का कारण बन सकेगी.

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