सर्वे के लिये जमीन का पेपर निकालने में छूट रहे पसीने
बिहार भूमि सर्वे को लेकर जमीन का कागजात निकालने में लोगों को पसीने छूट रहे हैं.
समस्तीपुर. बिहार भूमि सर्वे को लेकर जमीन का कागजात निकालने में लोगों को पसीने छूट रहे हैं. अभिलेखागार पर दलाल भी जमे रहते हैं. दलाल लोगों से मोटी रकम लेकर कागजात निकालते हैं. इन दलालों का अभिलेखागार में खूब पैठ हैं, ये रिकार्ड के रूम के अंदर तक जाते हैं. सर्चिंग के नाम पर ही हजारों रुपये की उगाही कर लेते हैं, उसके बाद चिरकुट फाइल करने व पेपर निकालकर देने के नाम में मोटी रकम ऐंठते हैं. जरूरत मंद कास्तकार दलालों को मनमाना पैसा देने के लिये विवश हैं. वहीं कुछ रैयत खुद से चिरकुट फाइल कर कागजात के लिये दौर लगा रहे हैं. विदित को विशेष भू सर्वेक्षण को लेकर लोगों में ऊहापोह की स्थिति है. लोगों को लगता है कि जमीन का काजगात नहीं रहने पर उन्हें कहीं अपनी जमीन से हाथ धोना न पड़ जाये. इस परेशानी से बचने के लिये लोग किसी भी कीमत पर अपनी जमीन के कागजात जुटाने में जुटे हुये हैं. बड़ी संख्या में ऐसे रैयत हैं, जिनके पास नया व पुराना कोई खतियान उपलब्ध नहीं है. कुछ किसानों का जमीन का केवाला भी गुम हो गया है. कई के जमीन के कागजात घर ले अगलगी के कारण जलकर नष्ट हो गया है. बाढ़ प्रभावित इलाकों के कई कास्तकारों के जमीन के काजगात प्रलयंकारी बाढ़ की विभिषिका में नष्ट हो गये हैं. कुछ रैयतों का कागजात उनके फरिकेन रख लिये, जाे नहीं दे रहे हैं. कागजात के लिये जिला अभिलेखागार का चक्कर लगा रहे कास्तकारों का कहना है कि अधिकारी को अभिलेखागार के कुव्यवस्था पर ध्यान देना चाहिये. इसे व्यवस्थित करना चाहिये ताकि लोगों को परेशानी नहीं हो. पादर्शिता लाने की भी जरूरत बतायी है. शिवाजीनगर के मोहन कुमार चौधरी कहते हैं वे खतियान के लिये खुद से चिरकुट फाइल किये थे. बहुत दूर से आते हैं, तीन दिन आकर लौट गये हैं. इसी तरह वारिसनगर के हांसा के संतोष कुमार राय करते हैं कि खतियान के लिये चार दिन से दौड़ रहे हैं. वारिसनगर के शादीपुर के दिनेश सहनी का कहना है कि वे खतियान के लिये 27 अगस्त को चिरकुट फाइल किये गये. तब से सात बार अभिलेखागार आ चुके हैं. कास्तकारों का कहना है कि दलाल को मोटी रकम देने के बाद कागजात आसानी से निकल जाता है. कल्याणपुर सहित कुछ प्रखंडों का कागजात जिला अभिलेखार में अबतक उपलब्ध नहीं हो सका है. यहां के कास्तकारों को कागजात के लिये दरभंगा का चक्कर लगाना पड़ता है. उन्हें और अधिक परेशानी हो रही है. कास्तकारों का कहना है कि इन जगहों का कागजात भी दरभंगा से यहां मांगाना चाहिये. इस बाबत जिलाधिकारी व रिकार्ड रूम प्रभारी का पक्ष जानने के लिये उनसे संपर्क करने की कोशिश की गयी. लेकिन संपर्क नहीं हाेने के कारण उनका पक्ष नहीं जाना जा सका.
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