पूसा : डा राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय स्थित विद्यापति सभागार सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय के सौजन्य से लैंगिक समानता एवं महिला सशक्तिकरण पर कार्यशाला हुई. अध्यक्षता करते हुए कुलपति डा पीएस पांडेय ने कहा कि इस तरह के मस्तिष्क मंथन कार्यशाला से बहुत से तकनीकी ज्ञान उभरकर सामने आते हैं. प्राचीन काल में सृष्टि की संकल्पना में ही एक-दूसरे के प्रति सोचने वाले मंत्र को महिला सशक्तिकरण कहते हैं. महिला शक्ति स्वरूपा है. सृष्टि का निर्माण करती है. महिलाएं संपोषण करती है. महिलाओं को अपने आप में पहचानने की जरूरत है. समाज और परिवार को बदलने में महिलाओं की अग्रणी भूमिका रही है. फिलवक्त समाज विभिन्न कुरीतियों से जूझ रहा है. महिलाओं को संचय की भावना को तोड़ने की जरूरत है. बिलगेट्स वाली भावना को धरातल पर लानी होगी. जीवन जीने की कला को सीखने की जरूरत है. विषय प्रवेश अधिष्ठाता डा उषा सिंह ने कराया. कहा कि महिला सशक्तिकरण के लिए लोगों को मानसिकता में बदलाव लाने की जरूरत है. स्वागत वैज्ञानिक सह आयोजन सचिव डा संगीता देव दिया. इससे पहले आगत अतिथियों ने दीप जलाकर कार्यशाला का शुभारंभ किया. विशिष्ट अतिथि विनिता शर्मा ने कहा बिहार में 42.5% महिलाओं की शादी 18 वर्ष से पहले हो जाती है. 15-19 आयु वर्ग में 12.2 प्रतिशत किशोर माता या गर्भवती होती हैं. निदेशक अनुसंधान डा अनिल कुमार सिंह, प्रसार शिक्षा निदेशक डा एमएस कुंडू ने भी संबोधित किया. संचालन वैज्ञानिक डा तूलिका कुमारी ने किया. धन्यवाद ज्ञापन वैज्ञानिक डा विनिता सतपथी ने दिया. मौके पर डीन डा. पीपी श्रीवास्तव, वैज्ञानिक डा रत्नेश कुमार झा, सह आयोजन डा सुधानंद लाल प्रसाद आदि मौजूद थे.
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