बिहार में नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा पाने के लिए सक्षमता परीक्षा देनी होगी. इसके लिए उन्हें अनिवार्य रूप से इस परीक्षा को पास करना होगा. नियोजित शिक्षकों को तीन प्रयास इसके लिए मिलेंगे. तीन प्रयास में अगर वो परीक्षा पास नहीं करते हैं तो उन्हें अपनी नौकरी गंवानी होगी. सरकार ऐसे शिक्षकों को बर्खास्त कर देगी. अपर मुख्य सचिव के के पाठक की अध्यक्षता में शनिवार को सक्षमता परीक्षा से संबंधित गठित विभागीय समिति ने इसे लेकर बैठक की जिसमें यह निर्णय लिया गया. अब समिति अपनी अनुसंशा राज्य सरकार के पास भेज रही है जहां इसपर मुहर लगेगी. वहीं दूसरी ओर शिक्षक संघों ने इस फैसले का विरोध किया है. उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने भी इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी है.
बिहार में नियोजित शिक्षकों की सक्षमता परीक्षा की अनिवार्यता से जुड़े फैसले का विरोध शिक्षक संघ कर रहा है. पटना के केदार भवन में शिक्षक संघों की सर्वसंघीय आपातकालीन बैठक रविवार को हो रही है. बिहार पंचायत नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष आनंद कौशल सिंह ने कहा कि बिहार के नियाेजित शिक्षकों के साथ सरकार सौतेला व्यवहार कर रही है जो बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा कि बिहार में नियोजित शिक्षकों का जितना भी संगठन है वो पटना में एकजुट हो रहा है. हमलोग एक मंच बनाकर सरकार से आरपार की लड़ाई लड़ेंगे. सरकार को सड़क से सदन तक जबरदस्त विरोध का सामना करना पड़ेगा.
शिक्षक संघ के नेता ने कहा कि तीन बार परीक्षा की बात कह रहे हैं. बिना शर्त राज्यकर्मी का दर्जा देना होगा. अब नयी नियम ले आए हैं कि तीन बार परीक्षा देकर पास होइए नहीं तो नौकरी से बाहर कर देंगे. ये मनमानी है. हमलोग तीन स्तरीय रणनीति बना रहे हैं. न्यायालय में भी सरकार को चुनौती देंगे और बजट सत्र में विराट आंदोलन करेंगे. आनंद कौशल ने कहा कि 60 साल की नौकरी की नियमावली बनी थी. उसे आप मनमाने तरीके से नहीं हटा सकते.
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वहीं एक न्यूज चैनल पर शिक्षक संघों की नाराजगी से जुड़े सवाल पर उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि शिक्षक संघ के लोगों से बात की जाएगी. लेकिन गुणवत्ता और क्वांटिटी पर भी ध्यान रखा जाएगा. इसपर जरूर चिंता करनी चाहिए. बिहार के बच्चों के भविष्य का यह मामला है. इसके लिए चिंता करना ही पड़ेगा. लेकिन शिक्षक संघों से बात किया जाएगा कि इसका क्या रास्ता हो सकता है.