बिहार राज्य संस्कृत शिक्षा बोर्ड एवं बिहार राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड भंग होंगे. इनके साथ ही बिहार राज्य अल्पसंख्यक आयोग, बिहार राज्य महिला आयोग और बिहार राज्य बाल श्रमिक आयोग को भी भंग किया जायेगा. गुरुवार को इनसे संबंधित संशोधन विधेयकों को विधानसभा से मंजूरी मिल गयी. संबंधित विभागों के प्रभारी मंत्री ने विधेयकों को सदन पटल पर रखा, जिसके बाद विपक्षी सदस्यों के प्रस्ताव पर हुई चर्चा के बाद ध्वनिमत से विधेयकों को स्वीकृति दी गयी.
आयोग भंग होने के बाद आगे क्या होगा..
संशोधित अधिनियम लागू होने की तिथि से वर्तमान में कार्यरत आयोग व बोर्ड भंग हो जायेंगे. भंग होने पर राज्य सरकार आयोग के मामलों के प्रबंधन के लिए एक प्रशासक नियुक्त करेगी, जो राज्य सरकार के सचिव स्तर का पदाधिकारी होगा. राज्य सरकार के पास प्रशासन को निर्देश या परामर्श जारी करने का अधिकार होगा और ऐसे निर्देश या परामर्श प्रशासक के लिए बाध्यकारी होंगे.
विशेषज्ञों की एक समिति का गठन करेगी सरकार.
आयोग के विघटन के बाद राज्य सरकार इनके कामकाज के पुनर्गठन के लिए अपनाये जाने वाले उपायों का सुझाव देने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति का गठन करेगी. विशेषज्ञों की समिति राज्य सरकार को एक माह के अंदर प्रतिवेदन देगी. सरकार विशेषज्ञों की समिति की अनुशंसाओं को आवश्यक संशोधनों के साथ स्वीकार कर सकेगी. इन अनुशंसाओं को आदेश, अधिसूचना या संकल्प बना कर लागू करने का प्रयास किया जायेगा.
संशोधित अधिनियम में प्रावधान..
संशोधित अधिनियम में प्रावधान किया गया है कि अनुशंसा प्रतिवेदन मिलने के उपरांत राज्य सरकार को अधिकतम दो माह के अंदर अधिनियम की धारा तीन के अंतर्गत आयोग का पुनर्गठन करना अनिवार्य होगा. वहीं, आयोग का विहित कार्यकाल होते हुए भी राज्य सरकार के पास किसी भी समय आयोग को भंग करने की शक्ति होगी.
इन विधेयकों को मिली विधानसभा की मंजूरी..
- बिहार राज्य बाल श्रमिक आयोग (संशोधन) विधेयक 2024
- बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड (संशोधन) विधेयक 2024
- बिहार राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड (संशोधन) विधेयक 2024
- बिहार राज्य अल्पसंख्यक आयोग (संशोधन) विधेयक 2024
- बिहार राज्य महिला आयोग (संशोधन) विधेयक 2024
शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी बोले..
बिहार राज्य संस्कृत व मदरसा बोर्ड (संशोधन) के प्रस्ताव पर सरकार का पक्ष रखते हुए शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने विधेयक में संशोधन को लेकर जताई जा रही आशंकाओं को पूर्णतः निर्मूल बताया. उन्होंने कहा कि संशोधित विधेयक में संस्कृत या मदरसा की वर्तमान चल रही पढ़ाई में बदलाव की कोई कोशिश नहीं की गयी है. अगर इन स्कूलों में बढ़ने वाले बच्चे दीनी तालीम के अतिरिक्त विज्ञान, मानविकी और व्यावसायिक पाठ्यक्रम की पढ़ाई करते हैं, तो किसी को क्या एतराज हो सकता है?
अल्पसंख्यकों को लेकर बोले शिक्षा मंत्री..
खास कर विपक्षी सदस्यों अख्तरूल इमान, शकील अहमद खान और महबूब आलम की आपत्तियों को पूरी तरह नकारते हुए शिक्षा मंत्री ने कहा कि इस पर एतराज करने का मतलब है कि आप अकलियत समाज के बच्चों को सही तालीम से मरहूम रखना चाहते हैं. अल्पसंख्यकों को पूरी तरह इत्मीनान है कि बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की हुकूमत है. खामखां मुक्तदा माहौल बनाने से कुछ नहीं होगा. हमने ही उनके लिए किया है और आगे भी हम ही करेंगे. शिक्षा मंत्री ने कहा कि पहले बोर्ड का विघटन होने पर विशेषनिदेशक को प्रशासन की जिम्मेदारी मिलती थी, जो की अब सचिव स्तर के उच्च पदाधिकारी को दी गयी है. यही नहीं, पहले लंबे समय तक संस्कृत व मदरसा बोर्ड विघटित रहते थे.