छपरा मिड डे मील हादसा : प्रिसिंपल मीना को पटना हाइकोर्ट से मिली जमानत, 23 बच्चों की हुई थी मौत

पटना : 16 जुलाई 2013 को बिहार के सारण जिले के मशरक प्रखंड के गंडामन प्राथमिक विद्यालय में मिड डे मील खाने से हुई 23 बच्चों के मौत के मामले में सुनवाई करते हुए पटना हाइकोर्ट ने स्कूल की प्रिसिंपल मीना कुमार को आज जमानत दे दी. माननीय न्यायाधीश किशोर के मंडल की खंडपीठ ने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 3, 2017 2:34 PM

पटना : 16 जुलाई 2013 को बिहार के सारण जिले के मशरक प्रखंड के गंडामन प्राथमिक विद्यालय में मिड डे मील खाने से हुई 23 बच्चों के मौत के मामले में सुनवाई करते हुए पटना हाइकोर्ट ने स्कूल की प्रिसिंपल मीना कुमार को आज जमानत दे दी. माननीय न्यायाधीश किशोर के मंडल की खंडपीठ ने इस मामले में सुनवाई की और मीना कुमारी को जमानत दे दी. 16 नवंबर 2016 को यह मामला हाइकोर्ट के पास पहुंचा था. मामले में अगली सुनवाई 05 जुलाई 2017 को होगी. इससे पूर्व इस मामले में निचली अदालत ने मीना देवी को उम्र कैद की सजा सुनाई थी. निचली अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए पटना हाइकोर्ट में अपील दायर की गयी थी. निचली अदालत ने मीना देवी को 17 साल की सजा सुनाई थी. मरनेवालों में रसोईया भी शामिल थी.

इस घटना ने पूरे बिहार को झकझोर दिया था. घटना के बाद बिहार सरकार ने प्राथमिक विद्यालयों में मिड डे मिल के लिए कई सुधार करने के वायदे किये. क्या है पूरा मामला और कैसे हुई थी, यह घटना और क्या-क्या हुआ था आइए जानते हैं.

बच्चों ने क्या खाया था?
घटना के दिन स्कूल में उपस्थित बच्चों ने भात और आलू व सोयाबीन की तरकारी खायी थी. रसोइये ने खुद अपनी हाथों से भोजन पकाया था. टिफिन के समय बच्चों को यही भोजन परोसा गया था.

खाने में क्या मिला था?
बीमार बच्चों को जब अस्पताल में भरती कराया गया, तो डॉक्टरों को पहली नजर में भोजन में जहर मिले होने का अंदेशा हुआ था. बच्चों की उल्टी और शुरुआती लक्षण से डॉक्टरों की यह राय बनी थी. उनकी समझ में यह विषैला पदार्थ आर्गेनो फासफोरस होने की बात सामने आयी थी. जिस तेल से तरकारी बनायी गयीथी उसमें इसके मिले होने की आशंका है.

जहरवाले बरतन में खाना बना या तेल में जहरीला पदार्थ था?
उस वक्त तेल में ही जहरीला पदार्थ मिला हुआ था. इसकी पुष्टिघटनाके बाद शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव और मिड डे मील योजना के निदेशक ने भी की थी. रसोइये को यह बात मालूम नहीं थी कि उसने कड़ाही में जो तेल डाला है, उसमें क्या मिला हुआ है. पीएमसीएच में मौत से जूझते हुएउस वक्त रसोइये मंजू देवी ने कहा था कि जब उसने तेल कड़ाही में डाली, तो अजीब प्रकार का गंध आयी. कड़ाही से धुआं भी निकला, पर उसने बिना कारण जाने उस तेल में ही सब्जी बना दी थी, बाद में मंजू की भी मौत हो गयी थी.

मंजू के पास तेल कहां से आया?
प्रधानाध्यापिका मीना देवी ने रसोइया मंजू देवी को यह तेल दिया था. मीना देवी ने तेल को स्कूल के पास वाले बाजार से ही खरीदा था. पांच लीटर वाले कंटेनर से तेल निकाल कर मंजू देवी को दी गयी थी.

आर्गेनो फासफोरस क्या है?
ग्रामीण इलाकों में खेतों में फसल को बचाने के लिए इसे कीटनाशक के रूप में प्रयोग किया जाता है. आम तौर पर ग्रामीण इलाकों में किराना या मेडिकल स्टोर में भी मिल जाता है. इसकी बिक्री पर कोई रोक नहीं है.

बच्चों के खाने में जहर कैसे पहुंचा?
अब तक इसका खुलासा नहीं हो पाया है कि भोजन में यह जहर कैसे पहुंचा. जानबूझ कर किसी ने इसे भोजन में मिलाया या अनजाने में ऐसा हुआ. तत्कालीन शिक्षा मंत्री ने कहा था कि जिस तेल से भोजन बना, वह प्रधानाध्यापिका के पति की दुकान से आया होगा ऐसी आशंका थी. पर, पड़ताल में इसकी पुष्टि नहीं हो पायी.

क्या प्रधानाध्यापक के पति की दुकान में यह रसायन बिकता था?

प्रधानाध्यापिका के पति अर्जुन राय किसान थे. वह गंडामन गांव के ही मूल निवासी हैं. उनकी अपनी कोई दुकान नहीं है. उनके पट्टीदार ध्रुव राय का प्रभावित स्कूल के पास मार्केटिंग कांप्लेक्स है, जिसमें उनकी दवा की दुकान है.

क्या बच्चों ने स्वाद में गड़बड़ी की शिकायत की थी?

जब बच्चों ने स्कूल में भोजन चखा, तो उन्हें स्वाद में गड़बड़ी लगी. उनके हल्ला करने पर रसोइया मंजू देवी ने खुद खाना चखा. इससे वह भी बीमार पड़ी. जब बच्चों की हालत खराब होने लगी, तो प्रधानाध्यापिका स्कूल छोड़ भाग खड़ी हुई थी.

फिर भी खाने को क्यों नहीं फेंका?
भोजन में जहरीला पदार्थ मिले होने के शक पर बचे खाने को फेंक दिया गया था. इससे प्रतीत होता है कि खाने में जहर मिला था.

फेंके गये खाने का क्या हुआ?
फेंके गये खाने को एक कौआ और एक गाय ने खाया था, जो मर गये थे.

क्या स्कूल में कोई प्राथमिक उपचार किट था?
स्कूल में प्राथमिक इलाज का कोई किट नहीं था, जिससे बच्चों का वहीं इलाज शुरू किया जाता.

क्या बच्चों को इलाज मिल पाया?

बच्चों ने दिन के 12 बजे खाना खाया था. इसके तत्काल बाद उन्हें परेशानी होने लगी. प्रधानाध्यापिका ने जब देखा कि बच्चे गिर रहे हैं, तो वह चिल्लाते हुए बाहर आयीं और गांव के लोगों से बच्चों को अस्पताल पहुंचाने की मदद मांगीं. लोग बच्चे अस्पताल भी ले जाये गये. पर, वहां कोई व्यवस्था नहीं थी. मशरक प्रखंड अस्पताल ने बच्चों को छपरा जिला अस्पताल रेफर कर दिया. यहां इलाज किया गया, लेकिन स्थिति बिगड़ती गयी. डॉक्टरों ने बच्चों को पीएमसीएच रेफर कर दिया. पीएमसीएच पहुंचते-पहुंचते रात के 11 बज गये. यहां विशेषज्ञ डॉक्टरों ने इलाज शुरू किया.

स्कूल में कितने बच्चे पढ़ते थे?
गंडामन में नवसृजित प्राथमिक विद्यालय में 120 बच्चों का नामांकन था. घटना के दिन करीब 50 बच्चों ने खाना खाया था.

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