पोखरे के किनारे लगती है छात्रों की पाठशाला

मकेर : प्रखंड के पिर मकेर पंचायत स्थित कन्या प्राथमिक विद्यालय अनियमितताओं का शिकार है. विद्यालय के दो कमरों का भवन पूरी तरह जर्जर हो चुका है. बरसात के दिनों में कमरे की छत से पानी टपकता है. पक्के भवन के अभाव में विद्यालय के 183 बच्चे पठन-पाठन करने को मजबूर हैं. विद्यालय की स्थापना […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 27, 2017 5:09 AM

मकेर : प्रखंड के पिर मकेर पंचायत स्थित कन्या प्राथमिक विद्यालय अनियमितताओं का शिकार है. विद्यालय के दो कमरों का भवन पूरी तरह जर्जर हो चुका है. बरसात के दिनों में कमरे की छत से पानी टपकता है. पक्के भवन के अभाव में विद्यालय के 183 बच्चे पठन-पाठन करने को मजबूर हैं. विद्यालय की स्थापना वर्ष 1972 में हुई थी, जिसका मकसद बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराना था. स्थापना के बाद से ही विद्यालय के मेंटनेंस को लेकर शिक्षा विभाग उदासीन रहा.

हर साल बच्चों का नामांकन तो होता रहा, लेकिन विद्यालय के विकास को लेकर कोई सक्रियता नहीं दिखी. देखते ही देखते भवन जर्जर होता चला गया. आज स्थिति ऐसी है कि बच्चे जर्जर भवन में जाने से डरते हैं. बच्चों की पाठशाला पोखरे के किनारे लगती है. विद्यालय में किचेन शेड नहीं हैं, जिस कारण खुले में पलानी के नीचे भोजन बनाया जाता है. वहीं एक शौचालय है, जो कुव्यवस्था का शिकार है. आस-पास में कोई अन्य विद्यालय नहीं होने के कारण स्थानीय बच्चों को इस सुविधा विहीन विद्यालय में पढ़ना पड़ता है. विद्यालय के प्राचार्य ने इस संबंध में कई बार अपने वरीय पदाधिकारियों को पत्र लिख कर सूचित किया है. वहीं स्थानीय ग्रामीणों ने शिक्षा विभाग को विद्यालय के मेंटेंनेंस हेतु अवगत कराया है. इसके बाद भी आजतक इस संबंध में कोई पहल नहीं की गयी है.

विद्यालय का भवन पूरी तरह जर्जर हो चुका है. सुरक्षा के दृष्टिकोण से बच्चों को विद्यालय के बाहर खुले में या बगल की तालाब के पास पढ़ाना पड़ता है. इस संबंध में विभागीय पदाधिकारियों को अवगत कराया गया है. विभाग से मार्गदर्शन मिलते ही भवन का जीर्णोद्धार कराया जायेगा.
सुनील सिंह, प्राचार्य
कन्या प्राथमिक विद्यालय
विद्यालय का भवन जर्जर हो चुका है. ऐसे में छात्रों को बगल के तालाब के किनारे बैठ कर पढ़ाई पूरी करनी पड़ती है. विद्यालय प्रधान को इस समस्या समाधान के संबंध में कई बार कहा गया है.
रामपुकार मेहता, ग्रामीण
इस विद्यालय में ज्यादातर गरीब वर्ग के बच्चे पढ़ते हैं. आर्थिक रूप से सक्षम अभिभावक अपने बच्चों को निजी विद्यालयों में भेज देते हैं. वहीं अन्य बच्चों को मजबूरी में विद्यालय के जर्जर भवन में आकर पढ़ना पड़ता है.
उमेश गुप्ता, ग्रामीण

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